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लॉन्ग कोविड जांच के लिए लैब में किया गया परीक्षण कारगर नहीं

नई दिल्ली। कोविड-19 (Covid 19) को लेकर एक नई शोध सामने आई है। अध्ययन में पाया गया है कि लॉन्ग कोविड (Long Covid) जांच के लिए सामान्य प्रयोगशाला में किया गया परीक्षण कारगर नहीं हैं। एक नए अध्ययन से पता चला है कि अधिकतर लैब लॉन्ग कोविड का निदान करने में विफल रहे हैं। इसे सार्स-कोव-2 संक्रमण के पोस्ट-एक्यूट सीक्वेल (पीएसी) के रूप में भी जाना जाता है। एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुताबिक 25 नियमित नैदानिक प्रयोगशालाओं में पूर्व संक्रमण, पीएएससी या विशिष्ट पीएएससी लक्षण समूहों के लिए कोई भरोसेमंद बायोमार्कर नहीं पाया गया है, जो बताता है कि ये नियमित टेस्ट पीएएससी के निदान के लिए उपयोगी नहीं हैं।

अमेरिका के कोलोराडो एंशुट्ज़ मेडिकल कैंपस विश्वविद्यालय में संक्रामक रोग विभाग के प्रोफेसर क्रिस्टीन एर्लैंडसन (Christine Erlandson) ने कहा हमारा अध्ययन दर्शाता है कि सामान्य प्रयोगशाला इसमें लाभदायक नहीं हो सकते हैं। एरलैंडसन ने कहा, “इससे पता चलता है कि डॉक्टरों को मरीजों के लक्षणों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और लॉन्ग कोविड का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट पर निर्भर रहने के बजाय, उन्हें दूर करने के तरीके खोजने चाहिए। वहीं, राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान (NIH) के राष्‍ट्रीय हृदय, फेफड़े और रक्‍त संस्‍थान में हृदय विज्ञान विभाग के निदेशक डेविड गोफ ने विश्‍वसनीय बायोमार्कर की पहचान करने की आवश्‍यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा हमारी चुनौती बायोमार्कर खोजने की है, जो हमें जल्द से जल्द और सटीक रूप से लंबे कोविड का पता लगाने में मदद करें, जिससे इस बीमारी से पीड़ित लोगों को जल्द से जल्द सर्वश्रेष्ठ मदद मिल सके। उन्होंने आगे कहा कि लंबे समय तक कोविड के लक्षण किसी को काम या स्कूल लौटने से रोक सकते हैं और रोजमर्रा के कार्यों को बोझ बना सकते हैं, इसलिए जल्द से जल्द इसके निदान के तरीकों पर ध्यान देने की जरूरत है।

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