sawan2024: सावन का पवित्र महीना आज सोमवार के दिन से शुरू हो गया है. सावन माह 9 अगस्त तक रहेगा. इस बार खास बात यह है कि शिव की अराधना का पवित्र महीना सोमवार से ही शुरू होकर सोमवार को ही खत्म होगा. (sawan month) इस माह में महादेव के प्रिय 5 सोमवार होंगे. इन दिनों में शिव जी की विशेष पूजा की जाती है. सावन के पूरे महीने भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना की जाती है. शिव पूजा और सावन से जुड़ी कई परंपराएं चली आ रही है. जिनका पालन पुराने समय से किया जा रहा है. आइए इन मान्यताओं के बारे में जानते है.
1. सावन माह में शिव की पूजा ही क्यों की जाती है?
सावन माह में महादेव की अराधना करने को लेकर कई मान्यताएं चली आ रही है. जिसमें से पहली मान्यता यह है कि भगवान शिव को ताजे फूल-पत्ते चढ़ाएं जाते है. सावन में बारिश का भी मौसम आता है. इस मौसम में शिव जी को चढ़ाने वाले फूल-पत्ते भी आते है. इसी वजह से सावन माह में शिव पूजा खासतौर पर की जाती है. दूसरी मान्यता यह है कि स्कंद पुराण में भगनाव शंकर ने सनत्कुमार को सावन माह के बारे में बताया था कि मुझे यह महीना अत्यंत प्रिय है. इस महीने की हर तिथि व्रत-पर्व है. तीसरी मान्यता यह है कि माता पार्वती ने श्रावण महीने से ही शिवजी को पति रूप में पाने के लिए तप शुरू किया था. इसी तप से देवी पार्वती की मनोकामनाएं पुरी हुई और माता का विवाह महादेव के साथ संपन्न हुआ था.
2. शिव जी की आधी परिक्रमा ही क्यों की जाती है?
शिवलिंग दो हिस्सों में बंटा होता है एक लिंग और दूसरा जलाधारी. शास्त्रों के अनुसार जलाधारी को लांघना नहीं चाहिए. जब हम शिवलिंग पर जल अर्पित करते है तो जलाधारी से बहते हुए नीचे की ओर जाता है. अगर हम शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करेंगे तो इस जल पर हमारा पैर लगेगा. और यह अशुभ संकेत होगा है. इसी कारण शिवलिंग की आधी परिक्रमा की जाती है.
3. शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाने का कारण..
जब देवताओं और असुरों के समुद्र मंथन में से हलाहल विष निकला था. इस विष को शिव जी ने अपने गले में धारण किया था. इस वजह से उनका गला नीला पड़ गया था. विष के प्रभाव से शिव जी के शरीर में गर्मी बहुत अधिक बढ़ गई थी. उस गर्मी को शांत करने के लिए ऋषि-मुनियों और देवताओं ने शिव जी पर ठंडे – दूध की धारा चढ़ाई थी. तभी से शिव जी को जल दूध जैसी शीतलता देने वाली चीजें चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है. इस कारण भगवान शंकर देवों के देव महादेव कहलाए.
4. शिवलिंग पर तुलसी नहीं चढ़ृने के कारण…
भगवान विष्णु और उनके अवतारों को तुलसी अत्यंत प्रिय है लेकिन शिव पूजा में तुलसी उपयोग में नही ली जाती है. मान्यता के अनुसार पुराने समय में तुलसी के पुण्य कर्मों की वजह से असुर शंखचूड़ को कोई भी देवता मार नहीं पा रहा था. देवताओं ने शिव जी से शंखचूड़ का वध करने की प्रार्थना भगवान विष्णु ने तुलसी के पतिव्रत धर्म को भंग किया, जिससे तुलसी के पुण्य कर्मों का असर कम हो गया और शिव जी ने शंखचूड़ का वध कर दिया. इस छल की वजह से तुलसी ने यह संकल्प लिया था कि उसका इस्तेमाल शिव पूजा में नहीं किया जाएगा. तुलसी ने विष्णु जी को पत्थर बन जाने का शाप दिया था. विष्णु जी ने तुलसी का ये शाप स्वीकार किया था, शालिग्राम विष्णु जी का पत्थर स्वरूप ही है.
5. शिव की पूजा में धतूरा, भांग,आंकड़े के फूल क्यों चढ़ाए जाते हैं?
धतूरा, भांग, आंकड़े के फूल ये सभी नशीली और जंगली चीजें हैं. ये चीजें शिवलिंग पर चढ़ाई जाती हैं. ये चीजें हमारे बुरे विचारों और बुराइयां का प्रतीक हैं. शिव जी को ये चीजें चढ़ाने का भाव ये है कि पूजा करते समय हमें अपने बुरे विचार और बुराइयों को इन चीजों के साथ शिव जी को समर्पित कर देनी चाहिए. इन बुराइयों को आजीवन छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए.
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