Dussehra Celebration In Sri Lanka: आज विजयादशमी का पर्व देश और दुनियाभर में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. दशहरे के दिन अयोध्या के राजा श्रीराम ने लंका के राजा रावण का वध किया था. इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है.
दशहरा अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है. इस दिन रावण के साथ उसके पुत्र मेघनाद और भाई कुंभकर्ण के पुतलों का भी दहन किया जाता है जो अधर्म और अहंकार का अंत दर्शाता है. हालांकि, दशहरे का उत्सव सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि रावण के घर माने जाने वाले श्रीलंका में भी मनाया जाता है. यह पर्व जीवन में सत्य, धर्म और सद्गुणों की विजय का संदेश देता है, जो इसे खास बनाता है.
आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि श्रीलंका में भी दशहरे का पर्व बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. यहां माता सीता और भगवान राम से जुड़े कई महत्वपूर्ण मंदिर हैं, जहां दशहरे के दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.
भारत में दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं, लेकिन श्रीलंका में इस पर्व का अंदाज कुछ अलग होता है. यहां लोग धार्मिक आयोजनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. श्रीलंका में दशहरा मनाना केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा का भी एक विशेष अनुभव है. आइए जानते हैं कि इस पड़ोसी देश में दशहरे का जश्न कैसे मनाया जाता है.
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कैसे मनाया जाता है दशहरा
आपको बता दें कि भारत की ही तरह श्रीलंका में भी दशहरे को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. भगवान की पूजा भक्ति गीत सुनने के साथ लोग एक-दूसरे से मिलते और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं. लेकिन यहां एक चीज खास है कि दशहरे वाले दिन श्रीलंका में रावण दहन नहीं किया जाता है. श्रीलंका में लोग रावण का पुतला जलाने की बजाए धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. यहां लोग मंदिर में जाते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं.
किन जगहों पर करें सेलिब्रेट
श्री अजनेया मंदिर: श्रीलंका में राम भक्त हनुमान जी का मंदिर भी है. ये मंदिर कोलंबो से 45 मिनट की दूरी पर स्थित है. यहां आपको पंचमुखी हनुमान की मुर्ति के दर्शन होंगे. दशहरे के दिन इस जगह पर भी काफी भीड़ लगती है.
सीता अम्मन मंदिर: ये वही जगह है, जहां रावण ने मां सीता को रखा था. माना जाता है कि इस मंदिर का इतिहास करीब 5000 साल पुराना है. सीता अम्मन मंदिर नुवारा एलिया से महज 5 किमी की दूरी पर है.
दिवूरोमपोला मंदिर: इस मंदिर का नाम लेना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन यहां भी दशहरा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. ये मंदिर सीता एलिया से 15 किलोमीटर दूरी पर है. ऐसी मान्यता है कि यहीं मां सीता कीअग्निपरीक्षा हुई थी.