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Dev Deepawali 2024: आज मनाएं देवताओं की दीपावली, जानें शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

Dev Deepawali 2024Image Source: moneycontrol

Dev Deepawali 2024: हिंदू धर्म में देव दीपावाली का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का वध किया था, जिसके उपलक्ष्य में सभी देवी-देवताओं ने प्रसन्न होकर भगवान शिव की आराधना की और संपूर्ण काशी को दीपों से सजाया।

तभी से कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावाली का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई। इसे त्रिपुरी पूर्णिमा और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सभी देवता पृथ्वी लोक पर आकर गंगा घाट पर दीवाली मनाते है. आज के दिन देवताओं की दीपावली मनाई जाती है। संपूर्ण भारतीय हिंदु देव दीपावाली को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाते है।

पंचांग के अनुसार, देव दीपावली पर प्रदोष काल मुहूर्त 15 नवंबर को शाम 5.10 मिनट से लेकर 7.47 मिनट तक रहेगा. ऐसे में पूजा के लिए कुल 2 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा.

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देव दीपावाली की पूजा विधि

देव दीपावली के दिन सुबह उठकर स्नान कर लें. इस दिन गंगा स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है. यदि संभव न हो तो पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलकर स्नान कर लें.

इसके बाद मंदिर की साफ-साफाई कर सभी भगवान शिव और सभी देवी-देवताओं की विधि विधान से पूजा करें. देव दीपावली की शाम को भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा करें और महादेव को फल, फूल और दूध जरूर चढ़ाएं.

इसके बाद भगवान को भोग लगाकर आरती करें. इसके बाद शाम के समय नदी के तट और मंदिर में दीपक जलाएं. इस दिन गंगा नदी में दीप दान का विशेष महत्व माना जाता है.

देव दिवाली पर क्या न करें

देव दिवाली के दिन लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन से दूर रहें. देव दीपावली के दिन भूलकर भी किसी से उधार लेन देन न करें. इस दिन नाखून और बाल भी नहीं काटने चाहिए .

घर में किसी प्रकार की गंदगी भी न रखें. ऐसा करने से माता लक्ष्मी रूठ जाती हैं. इसके अलावा घर के सदस्यों से किसी भी प्रकार का झगड़ा या वाद-विवाद न करें.

देव दिपावली का महत्व

देव दिवाली के दिन दीपदान का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन दीपक जलाकर देव स्थान पर रखने से जीवन में सुख-शांति आती है. इसके अलावा इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना भी बहुत जरुरी होता है. (Dev Deepawali 2024)

इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुर नाम के एक राक्षस का वध किया था जिसके बाद से भगवान शिव को त्रिपुरारी कहा जात है. इसलिए देव दिपावली के दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा का विधान है. जिससे उनके दिव्य रूप को मान्यता और सम्मान दिया जाता है.

Disclaimer:प्रिय पाठक, खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया, इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. नया इंडिया इस खबर की पुष्टि नहीं करता है. धन्यवाद।

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By NI Desk

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