इंफाल। मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है। राजधानी इंफाल सहित कुछ और इलाकों में हिंसा और आगजनी की खबरें हैं। करीब 18 दिन की तनावपूर्ण शांति के बाद एक बार फिर सोमवार को कुकी और मैती समुदाय के बीच कई जगहों पर मारपीट होने की खबर है। ताजा हिंसा के बाद कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दी गई है। इससे पहले तीन और चार मई को चूराचांदपुर के तोरबंग इलाके में दोनों समुदायों के बीच जबरदस्त हिंसा हुई थी। इस हिंसा में अब तक 73 लोगों की जान गई है।
खबरों के मुताबिक राजधानी इंफाल के न्यू चेकॉन इलाके में एक स्थानीय बाजार में जगह को लेकर मैती और कुकी समुदाय के बीच मारपीट हो गई। बताया जा रहा है कि उपद्रवियों ने कुछ खाली घरों में आग लगा दी। हालात पर काबू पाने के लिए कुछ जगहों पर कर्फ्यू लगाई गई। साथ ही सेना और अर्धसैनिक बल तैनात किए गए हैं। गौरतलब है कि मणिपुर में मैती समुदाय को आदिवासी समाज में लाने और आरक्षण देने की मांग के कारण कई इलाकों में करीब एक महीने से तनाव बना हुआ है।
मई के पहले हफ्ते में भड़की हिंसा के बाद 15 मई तक हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़ कर 73 तक पहुंच गई थी। तीन मई को मणिपुर के चूराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में हिंसा भड़की थी। इसके बाद चार मई को हालात बेकाबू हो गए थे। राज्य सरकार ने उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया था। साथ ही सेना को भी सुरक्षा के लिए बुलाया गया था। बाद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया था और उन्होंने दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी।
गौरतलब है कि मणिपुर की करीब 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैती समुदाय के लोग हैं। पिछले कुछ समय से मैती समुदाय आरक्षण मांग रहा है। समुदाय के लोगों का कहना है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पहले उन्हें जनजाति का दर्जा प्राप्त था। पिछले 70 साल में मैती आबादी 62 फीसदी से घटकर करीब 50 फीसदी के आसपास रह गई है। दूसरी ओर मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैती समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैती बहुल इंफाल घाटी में है और राजनीतिक रूप से इनका पहले से ही मणिपुर में दबदबा है।