मुंबई। चुनाव आयोग के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुलाम बताने के बाद उद्धव ठाकरे गुट ने बहुत बड़ा आरोप लगाया है। शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट ने कहा है कि उसका नाम और चुनाव चिन्ह छीनने के लिए दो हजार करोड़ रुपए की लेन-देन हुई है। हालांकि पार्टी की ओर से किसी संस्था या व्यक्ति का नाम नहीं लिया गया है लेकिन यह आरोप बेहद गंभीर है। गौरतलब है कि शुक्रवार को चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिव सेना मानते हुए पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह उसको दे दिया था।
चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ अब उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। ठाकरे ने रविवार को अपने घर मातोश्री में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई थी। उधर एकनाथ शिंदे गुट ने कहा है कि वह भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट यानी विरोध पत्र दाखिल करेगा। इसका मतलब है कि उद्धव ठाकरे गुट की ओर से चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी जाएगी तो शिंदे गुट को सुने बिना कोर्ट फैसला नहीं देगी।
इस बीच रविवार को ठाकरे गुट के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि शिव सेना से उसका नाम और निशान छीनने के लिए दो हजार करोड़ रुपए की लेन-देन हुई है। संजय राउत ने चुनाव आयोग के फैसले को सौदेबाजी बताया। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधा। राउत ने कहा- अमित शाह क्या बोलते हैं, उस पर महाराष्ट्र के लोग ध्यान नहीं देते। जो सत्य को खरीदने का काम करते हैं वो झूठ और सच की क्या बात कर रहे हैं। इसका निर्णय जनता समय आने पर करेगी। शिव सेना किसकी थी और किसकी होगी, ये फैसला महाराष्ट्र के लोग लेंगे। गौरतलब है कि दो दिन के महाराष्ट्र दौरे पर शाह ने कहा था कि चुनाव आयोग ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।
बहरहाल, राउत ने कहा- शिव सेना और उसका निशान तीर-कमान छीना गया है और ऐसा करने के लिए तक दो हजार करोड़ रुपए की लेन-देन हुई है। मैं इस दावे पर कायम हूं। बेईमान लोगों का गुट, विधायक खरीदने के लिए 50 करोड़, सांसद खरीदने के लिए एक सौ करोड़, पार्षद खरीदने के लिए एक करोड़ और शाखा प्रमुख खरीदने के लिए 50 लाख खर्च कर सकता है। आप अंदाजा लगाइए वो पार्टी का नाम और निशाना पाने के लिए कितने की बोली लगा सकता है।
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा- आज भी कश्मीरी पंडित कश्मीर से जम्मू में आकर क्यों रुके हैं। कश्मीरी पंडितों की हत्या क्यों हुई, क्या उन्हें संरक्षण मिला? सरकार इसका जवाब दे। आज भी कश्मीरी पंडित घर वापसी के लिए तैयार नहीं हैं। यह किसकी विफलता है। उन्होंने कहा- आज भी जम्मू की सड़कों पर सैकड़ों कश्मीरी पंडित न्याय के लिए बैठे हुए हैं। अगर यह बात अमित शाह को मालूम नही है तो वो गृह मंत्री के पद पर ना रहें।