नई दिल्ली। उत्तराखंड के हल्द्वानी में कथित तौर पर रेलवे की जमीन पर बसे चार हजार परिवारों को उजाड़ देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को हल्द्वानी में 29 एकड़ रेलवे भूमि को खाली कराने के उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करेगा। इस बीच जमीन खाली कराने के फैसले के खिलाफ हजारों परिवारों का विरोध प्रदर्शन बुधवार को भी जारी रहा।
हल्द्वानी में जिस 29 एकड़ जमीन को खाली करने का प्रयास किया जा रहा है वहां नागरिकों के घरों के अलावा, इस क्षेत्र में चार सरकारी स्कूल, दो सरकारी कॉलेज, 11 निजी स्कूल, एक बैंक, दो ओवरहेड पानी के टैंक, 10 मस्जिद और चार मंदिर हैं। इसके अलावा दशकों पहले बनी दुकानें भी हैं। गौरतलब है कि लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 20 दिसंबर को हाई कोर्ट ने जमीन खाली कराने का आदेश दिया। उसके बाद स्थानीय प्रशासन ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए अखबारों में नोटिस प्रकाशित किया था। प्रशासन ने लोगों से नौ जनवरी तक अपना सामान ले जाने को कहा है।
जमीन की यह पट्टी दो किलोमीटर लंबी है जो हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से बनभूलपुरा इलाके में गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर तक फैली है। अधिकारियों ने रेलवे की जमीन का निरीक्षण किया, जबकि हटाए जा रहे निवासियों ने बेदखली रोकने के लिए कैंडल मार्च निकाला और धरना दिया। इलाके की एक मस्जिद में सैकड़ों लोगों ने सामूहिक नमाज ‘इज्तेमाई दुआ’ अदा की।
सामाजिक कार्यकर्ता और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में औपचारिक जिक्र किए जाने के बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि इस पर गुरुवार को सुनवाई होगी। इस बीच यह मामला राजनीतिक रूप लेता जा रहा है। प्रदर्शनकारी इस क्षेत्र में कार्रवाई के लिए भाजपा सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं, क्योंकि यहां के अधिकांश निवासी मुस्लिम हैं। इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता और नेता भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं।