नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्टने सोमवार को केंद्र और मणिपुर सरकार को पूर्वोत्तर के इस राज्य में जातीय हिंसा से प्रभावित हुए लोगों की सुरक्षा बढ़ाने को कहा। उनको राहत प्रदान करने तथा उनके पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा।चीफ जस्टीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बैच ने हिंसा के बाद की स्थिति को मानवीय समस्या करार देते हुए राहत शिविरों में उपयुक्त इंतजाम किये जाएं, वहां शरण लिये लोगों को भोजन, राशन तथा चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
ध्यान रहे मणिपुर के पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले ईसाई आदिवासियों और इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक समुदाय मेइती के बीच हिंसक झड़पों में 50 से अधिक लोग मारे गये हैं। मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर यह हिंसा भड़की थी। हिंसा के कारण 23,000 लोगों ने सैन्य छावनियों और राहत शिविरों में शरण ले रखी है। सुप्रीम कोर्ट मणिपुर हिंसा से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई 17 मई को करेगा। अदालत ने केंद्र तथा राज्य सरकार को हालातों पर अपडेट रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
केंद्र और राज्य की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हिंसा से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की बैंच को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सेना और असम राइफल्स की टुकड़ियों के अलावा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 52 कंपनियों को हिंसा प्रभावित इलाकों में तैनात किया गया हैं। इस बैंच में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला हैं। कोर्ट ने पूजा स्थलों की सुरक्षों के लिए उपयुक्त कदम उठाने का भी आदेश दिया है।