समालखा (हरियाणा)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बेहद अहम सालाना बैठक रविवार को शुरू हुई। तीन दिन तक चलने वाली इस बैठक में संघ के देश भर के करीब 14 सौ पदाधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। रविवार की सुबह शुरू हुई इस बैठक में आरएसएस की शाखाओं में महिलाओं को शामिल करने पर चर्चा हुई। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक पानीपत के समालखा में हो रही है। यह मीटिंग 14 मार्च तक चलेगी।
संघ की इस बैठक में आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पहुंचे। बैठक से पहले संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने बताया कि पिछले छह साल में यानी 2017 से 2022 तक सात लाख 25 हजार लोगों ने आरएसएस से जुड़ने को लेकर संघ की वेबसाइट पर अनुरोध किया है। इस लिहाज से हर साल एक लाख 20 हजार लोगों ने संघ से जुड़ने में रुचि दिखाई। इनमें से ज्यादातर की उम्र 20 से 35 साल के बीच है और 75 फीसदी का मकसद संघ से जुड़कर समाज सेवा करना है।
डॉ. वैद्य ने कहा- 2025 में संघ की स्थापना के एक सौ साल पूरे होने जा रहे हैं। इस समय संघ देश भर में 71 हजार से ज्यादा जगह पर प्रत्यक्ष तौर पर काम करके समाज को बदलने में अपनी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि संघ का लक्ष्य अगले एक साल में एक लाख जगह तक पहुंचने का है। वैद्य ने कहा- कोरोना के बाद देश में संघ का काम बढ़ा है। 109 जगह संघ के शिक्षा वर्ग होंगे और 20 हजार स्वयंसेवकों के ट्रेनिंग लेने का अनुमान है।
आरएसएस की यह बैठक कई कारणों से अहम है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले संघ और भाजपा के शीर्ष पदाधिकारियों की यह आखिरी बड़ी बैठक है। बताया जा रहा है कि इसमें आरएसएस और भाजपा के बीच समन्वय का काम करने वाले कुछ चेहरे बदलने के साथ-साथ संघ में भी कुछ लोगों की जिम्मेदारियां बदलने का फैसला हो सकता है। बहरहाल, संघ की इस बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत व सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के साथ सभी सह सरकार्यवाह, आरएसएस की अखिल भारतीय कार्यकारिणी, क्षेत्रीय व प्रांतीय कार्यकारिणी, संघ के निर्वाचित प्रतिनिधि और सभी विभाग प्रचारकों के साथ-साथ संघ के ही 34 अलग-अलग संगठनों के चुनिंदा निमंत्रित स्वयंसेवक शामिल हैं।