चेन्नई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आखिरकार तमिलनाडु में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने रूट मार्च यानी पथ संचलन किया। पूरे राज्य में 45 जगहों पर आरएसएस का पथ संचलन हुआ। पिछले साल से संघ का यह कार्यक्रम टल रहा था। बहरहाल, रविवार की शाम चार बजे राज्य के अलग अलग शहरों में संघ का पथ संचलन शुरू हुआ और शाम छह बजे तक चला। इसके लिए पुलिस ने सभी जगह सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए थे।
तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक ने बताया कि अदालत के आदेश पर आरएसएस को राज्य में 45 जगहों पर मार्च करने की अनुमति दी गई। गौरतलब है कि आरएसएस ने अक्टूबर 2022 में रूट मार्च निकालने का अनुरोध किया था, लेकिन तमिलनाडु पुलिस ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। पुलिस ने कहा था कि मार्च के दौरान हिंसा हो सकती हैं। आरएसएस को अनुमति नहीं देने का एक कारण यह भी बताया गया था कि सितंबर 2022 में केंद्र सरकार ने इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर बैन लगा है और इसलिए अभी माहौल सही नहीं है। पुलिस ने कहा था कि अगर आरएसएस का रूट मार्च होता तो राज्य के कुछ हिस्सों में मार्च में शामिल लोगों पर हमले हो सकते हैं।
इसके बाद आरएसएस ने मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर मार्च की अनुमित मांगी। कोर्ट की सिंगल बेंच ने संघ को तीन स्थानों- कुड्डालोर, पेरमबलूर और कल्लाकुरिची में मार्च करने की अनुमति दी थी। छह नवंबर 2022 को संघ ने मार्च निकाला और इस दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने संघ को पूरे राज्य में मार्च करने की इजाजत दे दी थी। राज्य सरकार ने खंडपीठ के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन सर्वोच्च अदालत ने सरकार की इस अपील को खारिज कर मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।