नई दिल्ली। महाराष्ट्र में अपने सहयोगी उद्धव ठाकरे की पार्टी के साथ गठबंधन बनाए रखने के लिए राहुल गांधी इस बात पर राजी हो गए हैं कि वे विनायक दामोदर सावरकर पर बयानबाजी नहीं करेंगे। कांग्रेस भी इस बात पर सहमत हो गई है कि उस मसले पर पार्टी नरम रुख रखेगी। मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पर सोमवार को हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक में इस पर सहमति बनी। सोनिया और राहुल गांधी दोनों रात्रिभोज के दौरान हुई इस बैठक में शामिल थे। करीब डेढ़ दर्जन विपक्षी पार्टियों की इस बैठक में शिव सेना शामिल नहीं हुई थी।
शिव सेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि सोमवार के रात्रिभोज के दौरान एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कुछ अन्य नेताओं ने राहुल गांधी से इस बारे में बात की। बताया जा रहा है कि शरद पवार ने राहुल से कहा कि इस तरह की बयानबाजी हुई तो गठबंधन बनाए रखना मुश्किल होगा। इसके बाद ही कांग्रेस ने रुख नरम करने का वादा किया है। गौरतलब है कि राहुल गांधी ने शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस की थी, जिसमें संसद में माफी मांगने के सवाल पर कहा था- मैं सावरकर नहीं हूं, गांधी हूं और गांधी माफी नहीं मांगते।
राहुल के इस बयान के बाद राजनीति तेज हो गई थी। रविवार को एक कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे ने दो टूक चेतावनी देते हुए कहा था कि वे गठबंधन समाप्त कर देंगे। उन्होंने कहा था कि सावरकर उनके लिए भगवान की तरह हैं उनका अपमान बरदाश्त नहीं किया जाएगा। इसके बाद सावरकर के पोते ने राहुल गांधी पर हमला किया था और कहा था कि वे साबित करें कि सावरकर ने माफी मांगी थी, वरना वे मुकदमा करेंगे। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर भी दबाव बनाते हुए कहा कि वे राहुल से माफी मांगने को कहें।
बहरहाल, कांग्रेस और उद्धव ठाकरे गुट की शिव सेना के बीच तनातनी के बाद अब मामला सुलझता दिख रहा है। शरद पवार के दखल से मामला सुलझा है। पवार ने कहा था कि सावरकर में महाराष्ट्र में पूजनीय हैं इसलिए उनका अपमान हुआ तो गठबंधन मुश्किल होगा। उसके बाद संजय राउत ने मंगलवार को अपने सुर नरम करते हुए कहा- हमारी लड़ाई सावरकर से नहीं, बल्कि मोदी से है। इसे लेकर हमारी बात हो गई है। उन्होंने सोमवार को हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक के बारे में कहा- इस बैठक में जो बातें कही गई हैं वह अच्छी बात है हमारी एकता जुड़ी रहे मुझे लगता है यह ठीक हो रहा है।
सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर पर रात्रिभोज में कांग्रेस सहित 18 राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए। इसमें उद्धव ठाकरे या उनकी पार्टी का कोई नेता शामिल नहीं हुए लेकिन उनका उठाया मुद्दा इसमें छाया रहा। विपक्षी पार्टियों ने तय किया गया था कि कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल सावरकर जैसे संवेदनशील विषयों पर टिप्पणी करने से दूर रहेंगे। कांग्रेस ने कहा कि वह सहयोगी पार्टियों की भावनाओं का सम्मान करेगी।