नई दिल्ली | Political Crisis in Nepal: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में बार-बार सरकार संकट में आ जाती है। एक बार फिर से कुछ ऐसा ही हुआ है। अभी दो महीने पहले ही सत्ता में आई गठबंधन सरकार पर फिर से संकट के बादल छा गए हैं। दरअससल, केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया है।
दिखाना होगा शक्ति परीक्षण
Political Crisis in Nepal: नेपाल में सरकार गिरने के खतरे के बीच अब प्रचंड सरकार को संसद में शक्ति परीक्षण से गुजरना होगा और एक महीने के अंदर ही अपना बहुमत सिद्ध करना होगा। आपको बता दें कि, इससे पहले 10 जनवरी को दहल ने फ्लोर टेस्ट का सामना किया था, जहां उन्होंने 99 फीसदी वोट हासिल किए थे। ये नेपाल के संसद के इतिहास में पहला मौका था जब किसी भी प्रधानमंत्री को इतना अधिक समर्थन मिला था।
यूएमएल के सभी मंत्री देंगे इस्तीफा
Political Crisis in Nepal: नेपाल में सत्ता की इस जंग और सरकार से समर्थन वापस लेने को लेकर सीपीएन-यूएमएल के डिप्टी चेयरमैन बिशनु पौडेल ने कहा कि, मतभेदों के बावजूद नेपाल में राजनीतिक स्थिरता के लिए हमने सरकार को बचाने रखने की पूरी कोशिश की। लेकिन प्रधानमंत्री ने गठबंधन की सरकार के रास्ते से अलग जाने की कोशिश की है और उनके कारण ही हमने सरकार के गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया है। अब सीपीएन (यूएमएल) के सभी मंत्री इस्तीफा देंगे। गौरतलब है कि, नेपाल सरकार से राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने भी शनिवार को समर्थन वापस ले लिया था।