नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बताया है कि देश में समान नागरिक संहिता लागू करने पर अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने गुरुवार को राज्यसभा में इस बारे में जानकारी दी। इसके अलावा केंद्रीय कानून मंत्री ने संसद को यह भी बताया कि पिछले तीन साल में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की ओर से जजों की नियुक्ति के लिए भेजे गए प्रस्तावों में से 18 प्रस्ताव वापस किए हैं।
गौरतलब है कि कई राज्यों में समान नागरिक संहिता को लेकर कानून बनाने की पहल हो रही है। इस बारे में जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री ने बताया- सरकार ने 21वें विधि आयोग को समान नागरिक संहिता को लेकर उठे सवालों की जांच का जिम्मा सौंपा था। सरकार ने आयोग को जांच के बाद अपनी सिफारिशें सौंपने को भी कहा था। 21वें आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को खत्म हो गया था। अब उनसे मिली सूचनाएं 22वें आयोग को सौंपी जा सकती हैं।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के शासन वाले उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू कर दी गई है। इसके अलावा भाजपा शासित दो और राज्य- गुजरात व मध्य प्रदेश इसे लागू करने की तैयारी में हैं। दोनों ने इस पर विचार के लिए कमेटी का गठन कर दिया है। इससे पहले भारत में गोवा इकलौता राज्य था, जहां यह कानून लागू था। भारत में विलय के समय से ही वहां यह कानून लागू था।