जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र (Kalraj Mishra) ने युवा चिकित्सकों (doctors) से आह्वान किया है कि वे प्रदेश के पिछड़े इलाकों, गांवों, आदिवासी व जनजाति क्षेत्रों में चिकित्सकीय सेवाओं (Medical Services) को सुदृढ़ करने में अपनी भूमिका निभाएं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने कहा कि राज्य सरकार के निर्णयों से राजस्थान आज चिकित्सा के क्षेत्र में मॉडल स्टेट बनकर उभरा है।
श्री मिश्र गुरुवार को राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय जयपुर के दीक्षान्त समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवन शैली, खानपान एवं पर्यावरण से जुड़ी नई बीमारियों की चुनौतियों पर भी चिकित्सा क्षेत्र में तेजी से कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने चिकित्सकों से मशीनों पर बढ़ती निर्भरता कम करने की दिशा में भी ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मरीजों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ और मशीनों के रेडिएशन्स के विपरीत प्रभावों को देखते हुए वास्तव में जिस रोग की आशंका हो, उसी से सम्बंधित टेस्ट कराए जाने चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत विशेषज्ञ चिकित्सा क्षेत्रों की और तेजी से आगे बढ़ना अच्छी पहल है। लेकिन, चिकित्सकों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके उपचार से किसी दूसरे रोग के बढ़ने की आशंका अथवा दूसरे रोग से जुड़े प्रभाव की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में समुचित जानकारी चिकित्सकों द्वारा मरीजों को दी जानी चाहिए। श्री मिश्र ने कहा कि चिकित्सक यदि मरीज की बात को ठीक से सुनता है तो उसका बहुत सकारात्मक असर पड़ता है। मनोवैज्ञानिक रूप से रोगी के साथ सांत्वना के रूप में किया गया व्यवहार कई बार दवाओं से भी अधिक काम करता है, इसलिए इस पर भी चिकित्सा शिक्षा में विशेष ध्यान दिया जाए।
राज्यपाल ने कहा कि देश में चिकित्सा से जुड़ा ज्ञान-विज्ञान आरम्भ से ही अत्यंत समृद्ध रहा है। धन्वंतरि संहिता, चरक संहिता चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़े महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं। शुगर, टीबी, हार्ट अटैक आदि रोगों के कारण और इनके उपचार का महत्वपूर्ण ज्ञान चरक संहिता में है। इसी तरह सुश्रुत ने सर्जरी और ऑपरेशन से जुड़े चिकित्सकीय ज्ञान के महत्वपूर्ण सूत्र दिए। उन्होंने कहा कि चिकित्सा से जुड़े ज्ञान की इन संहिताओं को आधुनिक संदर्भों में रखते हुए इनका डाक्यूमेंटेशन किया जाए। उन्होंने कहा कि आरयूएचएस को पुस्तकालयों में उपलब्ध प्राचीन चिकित्सा संहिताओं के संस्करणों का डिजिटलाइजेशन करते हुए उन्हें ई-लाईब्रेरी के जरिए चिकित्सा महाविद्यालयों में उपलब्ध कराने की परियोजना पर कार्य करना चाहिए। उन्होंने भारतीय भाषाओं में इन संहिताओं के अनुवाद प्रकाशित किए जाने का भी सुझाव दिया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार के निर्णयों से राजस्थान आज चिकित्सा के क्षेत्र में मॉडल स्टेट बनकर उभरा है। प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए राइट टू हेल्थ लागू किया गया है। कानून बनाकर नागरिकों को स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है। राज्य सरकार राइट टू हेल्थ का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगी।
श्री गहलोत ने कहा कि राज्य में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत 25 लाख रुपए तक का निःशुल्क इलाज दिया जा रहा है। इसके अलावा 10 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा भी आमजन को दिया जा रहा है। महंगी जांचें और दवाईयां भी आमजन को निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की नीतियों का ही परिणाम है कि आज राजस्थान में 95 प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो रहे हैं, जो कि राष्ट्रीय औसत से 7 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में अधिक से अधिक जागरुकता फैलाई जानी चाहिए, ताकि जानकारी के अभाव में कोई नागरिक इनके लाभ से वंचित ना रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (आरयूएचएस) ने शानदार कार्य किया। कोरोना महामारी में प्रदेशवासियों के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों से आए मरीजों को भी आरयूएचएस से बेहतरीन उपचार मिला। राज्य के भीलवाड़ा मॉडल की विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के सभी अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
श्री गहलोत ने दीक्षान्त समारोह में उपाधियां तथा पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों एवं चिकित्सकों को बधाई दी एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मानवीय दृष्टिकोण से प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू की गई है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति के उपरान्त राजकीय कार्मिकों का भविष्य शेयर मार्केट के अधीन नहीं रखा जा सकता। विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा इसकी आलोचना गलत है। राज्य सरकार ओपीएस के माध्यम से कर्मचारियों को एक सुरक्षित भविष्य उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है जहां 25 लाख रुपए तक का निशुल्क हलाज हो रहा है, जिसका 2500 करोड़ रुपए का प्रीमियम राज्य सरकार भर रही है। उन्होंने कहा कि बुनियादी चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करने और आम जनता को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से शेष रहे तीन जिलों प्रतापगढ़, जालौर और राजसमंद में भी मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाएंगे। इस तरह शीघ्र ही प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज की सुविधा हो जाएगी।
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुधीर भण्डारी ने प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि संघटक मेडिकल कॉलेज में इंटर्न हॉस्टल, बॉयज हॉस्टल, नई मॉर्चरी सहित विभिन्न भवन एवं सुविधाएं निर्माणाधीन हैं। उन्होंने कहा कि राज्य बजट में आरयूएचएस मेडिकल कॉलेज में सेन्टर फॉर पोस्ट कोविड रि-हैबिलिटेशन और क्रिटिकल केयर ब्लॉक स्थापित करने की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही विश्वविद्यालय के संघटक फार्मेसी कॉलेज एवं फिजियोथैरेपी कॉलेज खोले जाएंगे जिसका निर्णय प्रबन्ध मण्डल की बैठक में हो चुका है।
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के चिकित्सा मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड के सदस्य डॉ. जे.एल. मीणा ने चिकित्सा के क्षेत्र में गुणवत्ता पर विशेष जोर देते हुए कहा कि मरीजों को अस्पतालों में सभी स्तरों पर वही सुविधा एवं देखभाल दी जानी चाहिए जिसकी हम स्वयं के लिए अपेक्षा करते हैं। उन्होंने अपने संबोधन में एनएमसी द्वारा किए जा रहे विशेष कार्यों की चर्चा की। (वार्ता)