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माफिया अतीक अहमद उत्तर प्रदेश में दाखिल, बहन ने जताई हत्या की आशंका

लखनऊ। माफिया-राजनेता अतीक अहमद (Atiq Ahmed) को गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज (Prayagraj) ले जा रही पुलिस की एक टीम सोमवार को उत्तर प्रदेश की सीमा में दाखिल हुई और शाम तक उसके प्रयागराज पहुंचने की संभावना है। अहमद के भाई खालिद अजीम (khalid azeem) और अशरफ को भी पुलिस की एक अलग टीम बरेली जेल से प्रयागराज ला रही है।

अहमद को साबरमती जेल से ला रही पुलिस टीम सोमवार की सुबह मध्य प्रदेश से झांसी में दाखिल हुई। अहमद का काफिला मीडियाकर्मियों, उसकी बहन आयशा नूरी और वकीलों के साथ झांसी पुलिस लाइन में करीब डेढ़ घंटे तक रुका। अतीक अहमद को वर्ष 2007 में उमेश पाल अपहरण मामले में सोमवार को प्रयागराज की एक अदालत में पेशी के लिए लाया जा रहा है। अहमद उमेश पाल हत्याकांड में भी आरोपी है।

पुलिस टीम आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद रविवार शाम करीब छह बजे कड़ी सुरक्षा के बीच साबरमती जेल परिसर से अहमद को लेकर रवाना हुई। अहमद का काफिला आज सुबह अलग-अलग राज्यों से होते हुए उत्तर प्रदेश में दाखिल हुआ और झांसी पुलिस लाइन में रुका। अधिकारियों ने बताया कि यह काफिला जालौन की ओर बढ़ेगा और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से गुजरते हुए आज शाम तक प्रयागराज पहुंचेगा। अतीक अहमद के भाई खालिद अजीम उर्फ ​​अशरफ को भी पुलिस की एक अलग टीम बरेली जेल से प्रयागराज ले जा रही है। बरेली में जेल अधिकारियों ने कहा कि वह पूर्वाह्न करीब 10 बजे जेल से निकला।

अहमद को प्रयागराज ला रही पुलिस के काफिले के साथ जा रही उसकी बहन आयशा नूरी ने संवाददाताओं से बातचीत में आशंका व्यक्त की है कि रास्ते में उसके भाई की हत्या की जा सकती है। आयशा ने कहा, हमें डर है कि अतीक अहमद को मुठभेड़ में मार दिया जाएगा। वह कोई अपराधी नहीं हैं। उनके खिलाफ जो मामले हैं, वे अभी अदालत में हैं और उन्हें अभी अपराधी नहीं कहा जाना चाहिए। इस बारे में पूछे जाने पर कि वह घबरा क्यों रही हैं, आयशा ने कहा, विधानसभा में दिए गए मुख्यमंत्री के बयान से हम डरे हुए हैं। हमें मुख्यमंत्री पर विश्वास है। वह पूरे सूबे के मुख्यमंत्री हैं।

अहमद के परिजन ने आशंका व्यक्त की थी कि साबरमती जेल से प्रयागराज लाए जाते वक्त रास्ते में उसकी हत्या की जा सकती है। जब रास्ते में अहमद से पूछा गया कि क्या उसे डर लग रहा है, तो उसने कहा ‘काहे का डर।’ अहमद ने रविवार को कहा था, ‘मुझे इनका कार्यक्रम मालूम है… मुझे मारना चाहते हैं।’

फूलपुर से समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व सांसद अहमद को जून 2019 में उच्चतम न्यायालय द्वारा साबरमती केंद्रीय जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था। उस वक्त उस पर उत्तर प्रदेश में जेल में रहने के दौरान एक रियल एस्टेट व्यवसायी मोहित जायसवाल के अपहरण और हमले का आरोप लगा था। पुलिस ने कहा कि अहमद, उमेश पाल हत्याकांड सहित 100 से अधिक आपराधिक मामलों में नामजद है।

वर्ष 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के तत्कालीन विधायक राजू पाल की हत्या के प्रमुख गवाह उमेश पाल और उनके दो सुरक्षा गार्ड की गत 24 फरवरी को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या (murder) कर दी गई थी इस मामले में अतीक अहमद को प्रमुख अभियुक्त बनाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर विधानसभा में कहा था कि वह इस माफिया को ‘मिट्टी में मिला देंगे।’ इस मामले में गत 27 फरवरी और छह मार्च को पुलिस के साथ हुई अलग-अलग मुठभेड़ों में दो आरोपी मारे गये थे।

अहमद ने पिछली एक मार्च को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करते हुए आदित्यनाथ के बयान का हवाला दिया था और कहा था कि उसे तथा उसके परिवार के सदस्यों की जिंदगी को खतरा है। उसने कहा था उत्तर प्रदेश पुलिस हर तरह से उसकी ट्रांजिट रिमांड मांगेगी और अहमदाबाद से प्रयागराज ले जाते वक्त उसकी हत्या कर दी जाएगी।

न्यायालय ने मामले को 17 मार्च को त्वरित सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था, लेकिन अहमद के वकील द्वारा कुछ अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने के लिए समय मांगे जाने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी गई थी।

इस बीच, कन्नौज से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद सुब्रत पाठक ने कहा था कि माफिया विकास दुबे की तरह अतीक अहमद की गाड़ी रास्ते में पलट जाए तो उन्हें हैरानी नहीं होगी।

कानपुर के बिकरू गांव में जुलाई 2020 में घात लगाकर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले के आरोपी माफिया विकास दुबे नौ जुलाई 2020 को उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश लाए जाते वक्त रास्ते में हुई मुठभेड़ में मारा गया था। एसटीएफ का दावा है कि रास्ते में दुबे की गाड़ी पलट गई थी। इसका फायदा उठाकर उसने भागने की कोशिश की थी। (भाषा)

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By NI Desk

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