नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी (Draupadi Murmu) मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि आज़ादी (freedom) के अमृतकाल (amritkal) में देश ‘पंच प्राणों’ की प्रेरणा से आगे बढ़ रहा है और सरकार गुलामी (Slavery) के हर निशान, हर मानसिकता से मुक्ति दिलाने की दिशा में भी निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने संसद के बजट सत्र के पहले दिन, केंद्रीय कक्ष में हुई लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक में दिए गए अपने प्रथम अभिभाषण में कहा कि जो कभी राजपथ था, वह अब कर्तव्यपथ बन चुका है।
उन्होंने कहा कि आज कर्तव्यपथ पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा हर भारतीय को गौरवान्वित कर रही है, तो अंडमान निकोबार में भी नेताजी और आज़ाद हिंद फौज के शौर्य को हमने सम्मान दिया है। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आज़ादी के अमृतकाल में देश ‘पंच प्राणों’ की प्रेरणा से आगे बढ़ रहा है और सरकार गुलामी के हर निशान, हर मानसिकता से मुक्ति दिलाने की दिशा में भी निरंतर प्रयासरत है।’’
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में ‘‘अमृत काल’’ में विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता व नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्य पालन के ‘‘पंच प्राण’’ का आह्वान किया था।
मुर्मू ने कहा कि अभी कुछ ही दिन पहले सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वीप पर नेताजी को समर्पित भव्य स्मारक और संग्रहालय का शिलान्यास भी किया है।
मुर्मू ने कहा कि भारतीय सेना के परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर अंडमान निकोबार के 21 द्वीपों का नामकरण भी किया गया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ राष्ट्रीय समर स्मारक आज राष्ट्रीय शौर्य का प्रतीक बन गया है, वहीं नौसेना को भी अब छत्रपति वीर शिवाजी महाराज का दिया प्रतीक चिन्ह मिला है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां भगवान बिरसा मुंडा सहित तमाम आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े संग्रहालय बन रहे हैं, डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर के पंचतीर्थ बनाए गए हैं, वहीं दूसरी तरफ हर प्रधानमंत्री के योगदान को दर्शाने वाले प्रधानमंत्री संग्रहालय का निर्माण भी किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘देश ने प्रथम ‘वीर बाल दिवस’ को भी पूरे गर्व और श्रद्धा से मनाया है। इतिहास की पीड़ाओं और उनके साथ जुड़ी शिक्षाओं को जागृत रखने के लिए देश में ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ की शुरुआत भी मेरी सरकार ने की है।’’ (भाषा)