नई दिल्ली। सिनेमा के नायक की तरह आकर्षक, खुशमिजाज व्यक्तित्व के धनी और प्रशंसकों की मांग पर छक्का जड़ने के लिए जाने जाने वाले 1960 के दशक के दिग्गज भारतीय क्रिकेटर सलीम दुर्रानी (Salim Durrani) का 88 वर्ष की उम्र में रविवार को निधन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (narendra modi) ने महान भारतीय क्रिकेटर सलीम दुर्रानी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व क्रिकेट में भारत के उत्थान में उनका अहम योगदान रहा।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया,‘‘ सलीम दुर्रानी जी महान क्रिकेटर थे और अपने आप में एक संस्थान थे। उन्होंने विश्व क्रिकेट में भारत के उत्थान में अहम योगदान दिया। मैदान के भीतर और बाहर वह अपनी शैली के लिये जाने जाते थे ।उनके निधन से दुखी हूं । उनके परिवार और मित्रों को सांत्वना। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे उनसे बात करने का मौका मिला और मैं उनकी बहुमुखी प्रतिभा से काफी प्रभावित रहा। उनकी कमी निश्चित तौर पर खलेगी।’’
उनके परिवार के निकट सूत्रों ने उनकी निधन की सूचना की पुष्टि की। सलीम दुर्रानी अपने छोटे भाई जहांगीर दुर्रानी के साथ गुजरात के जामनगर में रह रहे थे। उनका इस साल जनवरी में जांघ की हड्डी टूट जाने के बाद ऑपरेशन हुआ था।
काबुल में जन्मे दुर्रानी न केवल अपनी शानदार बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे, बल्कि वह बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज भी थे। उन्होंने 29 टेस्ट मैच खेले। दुर्रानी ने 1961-62 में पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला में इंग्लैंड के खिलाफ भारत की 2-0 से जीत में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने कलकत्ता और मद्रास टेस्ट में क्रमश: आठ और दस विकेट लिये थे। अपने कपड़ों , शैली और अंदाज के लिये अलग पहचान बनाने वाले दुर्रानी ने भारत के लिये खेलते हुए 1202 रन बनाये जिसमें एक शतक और सात अर्धशतक शामिल है।
इंग्लैंड पर मिली जीत के एक दशक बाद पोर्ट आफ स्पेन में वेस्टइंडीज पर भारत की जीत में उनकी भूमिका अहम रही। उन्होंने क्लाइव लॉयड और गैरी सोबर्स दोनों के विकेट लिये थे। उन्होंने 1973 में हिन्दी फिल्म चरित्र में परवीन बॉबी के साथ काम किया था।
दुर्रानी ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ साठ के दशक की शुरूआत में मुंबई में टेस्ट क्रिकेट मेंपदार्पण किया और आखिरी टेस्ट इंग्लैंड के खिलाफ फरवरी 1973 में ब्रेबोर्न स्टेडियम पर ही खेला। उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 33.37 की औसत से 8545 रन बनाये जिसमें 14 शतक शामिल थे। किसी भी गेंदबाजी आक्रमण की बखिया उधेड़ने में माहिर दुर्रानी अर्जुन पुरस्कार पाने वाले पहले क्रिकेटर थे। घरेलू क्रिकेट में उन्होंने गुजरात, राजस्थान और सौराष्ट्र के लिये खेला। (भाषा)