अहमदाबाद। गुजरात में 2002 में हुए दंगों से जुड़े एक बड़े नरसंहार के मामले में विशेष अदालत का फैसला आ गया है। अहमदाबाद की विशेष अदालत ने नरोदा गांव में हुए नरसंहार मामले के सभी 86 आरोपियों को बरी कर दिया है। इस घटना में 11 लोगों की मौत हुई थी और इस मामले में गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी व बाबू बजरंगी सहित 86 लोग आरोपी थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान 2017 में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी बतौर गवाह अदालत में पेश हुए थे।
बहरहाल, 21 साल पहले अहमदाबाद के नरोदा गांव में हुए नरसंहार के मामले में गुरुवार को अदालत का फैसला आया। गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी की घटना हुई थी, जिसमें अयोध्या से लौट रहे 58 लोगों की मौत हो गई थी। इस ट्रेन में कारसेवक भी सवार थे। इसके एक दिन बाद 28 फरवरी को विश्व हिंदू परिषद ने गुजरात में बंद का ऐलान किया था। उसी दिन अहमदाबाद शहर के नरोदा गांव इलाके में दंगे हुए, जिसमें 11 लोग मारे गए थे। उनको जिंदा जला दिया गया था।
नरोदा में हुए दंगे के बाद पूरे राज्य में दंगे हुए थे, जिसके बाद कई शहरों में कर्फ्यू लगाया गया था। नरोदा गांव में हुए हत्याकांड के आरोपियों के खिलाफ हत्या सहित आईपीसी की कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई थी। उसके बाद मामले की सुनवाई 2009 में शुरू हुई थी।
नरोदा नरसंहार केस में एसआईटी ने 187 लोगों से पूछताछ थी और 57 चश्मदीदों के बयान भी दर्ज किए थे। नरोदा नरसंहार मामले में कुल 86 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इन आरोपियों में से 18 लोगों की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है। करीब 13 साल तक चले इस केस में छह जजों ने लगातार सुनवाई की।