नई दिल्ली | Indus Water Treaty: भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। ऐसे में भारत की नरेन्द्र मोदी सरकार ने उसके खिलाफ बड़ा कदम उठाने का फैसला लेते हुए सितंबर 1960 की सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस जारी कर दिया है।
भारत को किया गया मजबूर
सिंधु जल संधि में संशोधन को लेकर भारत सरकार ने पाकिस्तान से कहा है कि, ’पाकिस्तान की सभी गलत कार्रवाइयों ने सिंधु जल संधि के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और भारत को आईडब्ल्यूटी के संशोधन पर नोटिस जारी करने के लिए मजबूर किया है। ऐसे में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। पाकिस्तान ने समझौते का उल्लंघन किया है और इसी वजह से पाकिस्तान को नोटिस जारी किया गया है।
पाकिस्तान ने नहीं निभाई जिम्मेदारी
सूत्रों की मानें तो भारत ने पाकिस्तान की गैर जिम्मेदाराना हरकतों पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा है कि पाकिस्तान के साथ हुई सिंधु जल संधि को अक्षरशः लागू करने का भारत दृढ़ समर्थक व जिम्मेदार साझेदार रहा है, लेकिन दूसरे पक्ष से ऐसा नहीं हुआ है। भारत द्वारा पाकिस्तान को जारी किए गए इस नोटिस का उद्देश्य सिंधु जल संधि के उल्लंघन को सुधारने के लिए 90 दिनों के भीतर अंतर-सरकारी वार्ता में प्रवेश करने का अवसर प्रदान करना है।
सिंधु आयोग की बैठकों चर्चा करने से इनकार
भारत सरकार का कहना है कि पारस्परिक रूप से एक मध्यस्थ रास्ता खोजने के लिए भारत ने बार-बार कोशिशें की लेकिन पाकिस्तान ने 2017 से 2022 तक स्थायी सिंधु आयोग की 5 बैठकों के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा करने से बार-बार इनकार किया है।
क्या है सिंधु जल समझौते?
भारत पाकिस्तान को बराबर पानी देने के लिए सिंधु जल संधि के प्रावधानों के तहत सतलज, व्यास और रावी का पानी भारत और सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को बांटा गया है। इस संधि के अनुसार, दोनों देशों के जल आयुक्तों को साल में दो बार मुलाकात कर बैठके करनी होती है और परियोजना स्थलों एवं महत्त्वपूर्ण नदी हेडवर्क के तकनीकी दौरे का प्रबंध करना होता है। लेकिन पाकिस्तान ने लगातार इस संधि के नियमों को तोड़ता रहा है। जिसके बाद भारत की मोदी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ ये बड़ा फैसला लिया है।