नई दिल्ली। देश के जाने माने पत्रकार, मूर्धन्य विद्वान और ‘नया इंडिया’ के दैनिक स्तंभकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक का मंगलवार को निधन हो गया। वे 78 वर्ष थे। मंगलवार की सुबह वे बाथरूम में गिर गए थे, जिसके बाद उनको नजदीक के अस्पताल में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित किया। डॉक्टर वैदिक का अंतिम संस्कार नई दिल्ली के लोधी रोड श्मशान में बुधवार शाम चार बजे होगा। इससे पहले बुधवार सुबह नौ से दोपहर एक बजे तक पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए गुड़गांव स्थित उनके निवास स्थान पर रखा जाएगा।
परिवार की ओर से बताया गया है कि डॉ. वैदिक मंगलवार की सुबह बाथरूम में फिसल कर गिर गए थे। इसके बाद उन्हें निकट के ही अस्पताल में ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि संभवत: हार्ट अटैक के चलते उनकी मौत हुई है। डॉ. का जन्म इंदौर में दिसंबर 1944 में हुआ था। उनके परिवार में एक बेटा और बेटी हैं। डॉ. वैदिक ने न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से लेकर लंदन के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडी तक में शोध कार्य किया है।
डॉ. वैदिक ने नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वे भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर रिसर्च पेपर हिंदी में लिखा। इस वजह से जेएनयू से उनका निष्कासन हुआ। साठ के दशक के मध्य में हुई इस घटना पर संसद में चर्चा हुई और राम मनोहर लोहिया से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक तमाम बड़े नेताओं ने वेद प्रताप वैदिक का साथ दिया, जिसके बाद जेएनयू को झुकना पड़ा और उनका शोध पत्र स्वीकार करना पड़ा।
डॉक्टर वैदिक ने अपनी पहली जेल यात्रा सिर्फ 13 साल की उम्र में की थी। हिंदी सत्याग्रही के तौर पर वे 1957 में पटियाला जेल में रहे। उन्होंने पत्रकारिता पर एक बेहद स्तरीय किताब लिखी है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय राजनीति और कूटनीति को लेकर डॉक्टर वैदिक ने कई किताबें लिखी हैं। विश्व हिंदी सम्मान, रामधारी सिंह दिनकर सम्मान, महात्मा गांधी सम्मान सहित उनको अनेक पुरस्कार और सम्मान उन्हें मिले। उन्होंने ‘नई दुनिया’ से पत्रकारिता का जीवन शुरू किया। बाद में वे ‘नवभारत टाइम्स’ से जुड़े और न्यूज एजेंसी ‘पीटीआई’ की हिंदी सेवा ‘भाषा’ के संस्थापक संपादक बने।