नई दिल्ली। दिल्ली के अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार राज्य सरकार से छीनने वाले केंद्र सरकार के अध्यादेश का कांग्रेस पार्टी विरोध करेगी। इस मामले में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच पिछले कुछ समय से खींचतान चल रही है। इस मामले में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का साथ देने का फैसला किया है। कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि वह दिल्ली के अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर पर केंद्र के अध्यादेश का विरोध करेगी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला सुनाया था कि दिल्ली में सरकारी अधिकारियों पर चुनी हुई सरकार का ही नियंत्रण रहेगा। इसके सात दिन बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी किया, जिसमें पोस्टिंग और ट्रांसफर के लिए एक प्राधिकरण बनाया गया है। मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे लेकिन उसमें दो सदस्य केंद्र की ओर से नियुक्त अधिकारी होंगे। इसके अलावा विवाद की स्थिति में अंतिम फैसला उप राज्यपाल का होगा।
अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस करके इस अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष से सहयोग की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार इस अध्यादेश को कानून बनाने के लिए राज्यसभा में लाती है तो विपक्ष साथ देकर इसे हराए। केजरीवाल ने कहा कि इस अध्यादेश के विरोध में वे देश भर की विपक्षी पार्टियों से मिलकर समर्थन मांगेंगे। इसके लिए केजरीवाल 23 मई को कोलकाता में ममता बनर्जी से मिलेंगे। इसके अगले दिन 24 मई को मुंबई में उद्धव ठाकरे और 25 मई को मुंबई में ही शरद पवार से मिलेंगे।
गौरतलब है कि 11 मई को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने एक राय से कहा था- कानून व्यवस्था, पुलिस और जमीन को छोड़कर उप राज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे। फैसले के एक दिन बाद ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सेवा सचिव आशीष मोरे को हटा दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सात दिन बाद केंद्र सरकार ने 19 मई को दिल्ली सरकार के अधिकारों पर अध्यादेश जारी कर दिया।