नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम में 15 साल बाद भाजपा का नियंत्रण आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया। नगर निगम चुनाव हारने के बाद अपना मेयर बनाने की जिद करके बैठी भाजपा आखिरकार मेयर का चुनाव हार गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुधवार को हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय मेयर चुनी गईं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की रेखा गुप्ता को 34 वोट से हराया। मेयर पद के लिए हुए चुनाव में शैली ओबेरॉय को 150 और रेखा गुप्ता को 116 वोट मिले।
गौरतलब है कि सात दिसंबर को नगर निगम चुनाव के नतीजे आने के बाद तीन बार मेयर का चुनाव कराने की कोशिश हुई लेकिन उप राज्यपाल द्वारा मनोनीत दस पार्षदों यानी एल्डरमैन को वोटिंग का अधिकार देने के मसले पर विवाद के बाद चुनाव नहीं हो सका। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को अपने फैसले में कहा कि एल्डरमैन को वोट देने का अधिकार नहीं है। इसके बाद सर्वोच्च अदालत के निर्देश पर 22 फरवरी को चुनाव की तारीख तय हुई।
आम आदमी पार्टी को ढाई सौ सदस्यों की दिल्ली नगर निगम में 134 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि भाजपा 104 सीटों पर जीती थी। स्पष्ट हार के बाद भी भाजपा ने दावा किया था कि मेयर उसका बनेगा। बहरहाल, ढाई सौ पार्षदों के अलावा दिल्ली के सात लोकसभा और तीन राज्यसभा सांसद और विधानसभा अध्यक्ष की ओर से मनोनीत 13 विधायक मेयर के चुनाव में वोट करते हैं। इस तरह कुल 273 सदस्यों को वोटिंग का अधिकार है, जिसमें से आप को 150 और भाजपा को 116 वोट मिले। कांग्रेस के नौ में से सिर्फ एक पार्षद ने वोटिंग में हिस्सा लिया।
मेयर चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद शैली ओबेरॉय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया व पार्षदों के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का भी धन्यवाद किया। सुप्रीम कोर्ट ने शैली ओबेरॉय की याचिका पर ही फैसला सुनाया था। बहरहाल, शैली ओबेरॉय 31 मार्च तक ही मेयर रह पाएंगी। उसके बाद फिर चुनाव होगा। नियम के मुताबिक मेयर का चुनाव एक वित्त वर्ष के लिए होता है।