नई दिल्ली। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल की जूनियर डॉक्टर के साथ नौ अगस्त को हुई बलात्कार और हत्या की घटना में सबूत मिटाने के आरोपी तत्कालीन प्रिंसिपल को जमानत मिल गई है। सबूतों से छेड़छाड़ मामले में सीबीआई 90 दिनों की तय अवधि के बाद भी आरोपपत्र दाखिल नहीं कर पाई। इस वजह से सियालदह कोर्ट ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को जमानत दे दी। अदालत ने ताला थाने के पूर्व इंचार्ज अभिजीत मंडल की जमानत भी इसी आधार पर मंजूर की है। मंडल पर केस की एफआईआर दर्ज करने में देर करने का आरोप है।
हालांकि संदीप घोष अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। उन्हें मेडिकल कॉलेज में वित्तीय गड़बड़ी के मामले में जमानत नहीं मिली है। गौरतलब है कि 29 नवंबर को कोर्ट ने वित्तीय गड़बड़ी के मामले में सीबीआई के आरोपपत्र को नामंजूर कर दिया था। इसका कारण यह था कि सीबीआई के पास राजकीय कर्मचारी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने के लिए राज्य सरकार से जरूरी मंजूरी नहीं थी।
गौरतलब है कि सीबीआई की जांच में सामने आया है कि जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के अगले दिन यानी 10 अगस्त, 2024 को ही संदीप घोष ने सेमिनार हॉल से लगे कमरों के रेनोवेशन का ऑर्डर दिया था। ट्रेनी डॉक्टर का शव नौ अगस्त की सुबह मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में मिला था। सीबीआई को ऐसे दस्तावेज मिले, जिनसे पुष्टि होती है कि घोष ने 10 अगस्त को चिट्ठी लिखकर स्टेट पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट यानी पीडब्लुडी को सेमिनार हॉल से लगे कैमरे और टॉयलेट का रेनोवेशन करने को कहा था। इससे सबूत मिटाने की मंशा भी जाहिर होती है और वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों को भी बल मिलता है।