badrinath : हिमालय में स्थित चारधाम यात्रा जो विश्वभर में प्रसिद्ध है। शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद चारधाम यात्रा का सालभर से इंतजार किया जाता है।
बदरीनाथ धाम हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। बदरीनाथ धाम में भगवान श्री बदरीनारायण का पूजन किया जाता है। यहां लश्र्मीनारायण की मूर्ति स्थापित है।
शीतकाल में दीवाली के बाद बदरीनाथ के कपाट बंद होते है। बसंत पंचमी के पावन अवसर पर बदरीनाथ धाम के कपाट मंगल होने की तिथी घोषित की जाती है।(badrinath )
श्री बद्रीनाथ धाम, जो कि हिंदू धर्म के चारधामों में से एक है, के कपाट खुलने की तिथि निश्चित हो गई है। वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर नरेंद्र नगर राजदरबार में पंचांग गणना के पश्चात यह निर्णय लिया गया।
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श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ इस पावन अवसर की प्रतीक्षा कर रहे थे। इस वर्ष श्री बद्रीनाथ धाम के पवित्र कपाट वैशाख मास शुक्ल पक्ष सप्तमी, पुष्य नक्षत्र में रविवार, 4 मई को प्रातः 6 बजे विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ खोल दिए जाएंगे।
हर वर्ष की भांति इस बार भी कपाट खुलने से पूर्व पारंपरिक तेलकलश गाडू घड़ा यात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा 22 अप्रैल, मंगलवार को नरेंद्र नगर राजदरबार से आरंभ होगी।
इस यात्रा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत विशिष्ट है, जिसमें विशेष अनुष्ठान एवं पूजन किया जाता है। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेते हैं और इसे अत्यंत मंगलकारी माना जाता है।
चारधाम यात्रा का शुभारंभ
चारधाम यात्रा का शुभारंभ इस वर्ष 30 अप्रैल से होने जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलते हैं, जिससे इस दिव्य यात्रा की शुरुआत होती है।
इसी परंपरा के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन टिहरी स्थित नरेंद्र नगर राजदरबार में श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित की गई है।
श्री बद्रीनाथ धाम हिंदू धर्म के अत्यंत पवित्र स्थलों में से एक है, जो भगवान विष्णु के स्वरूप बद्री नारायण को समर्पित है।(badrinath )
हर वर्ष लाखों श्रद्धालु इस पावन धाम के दर्शन करने आते हैं और अपनी आध्यात्मिक यात्रा को सफल बनाते हैं। यह धाम न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से भी अनुपम है।
श्री बद्रीनाथ धाम के दर्शन के इच्छुक श्रद्धालु इस वर्ष 4 मई को प्रातः 6 बजे से भगवान बद्री नारायण के पावन दर्शन कर सकेंगे।
सभी भक्तों से आग्रह किया जाता है कि वे अपनी यात्रा की योजना पूर्व निर्धारित करें और सभी आवश्यक तैयारियों के साथ इस दिव्य तीर्थयात्रा का हिस्सा बनें।
बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि(badrinath )
बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय करने के लिए राजमहल में भव्य धार्मिक समारोह का आयोजन किया गया। यह समारोह सुबह साढ़े दस बजे से विधिवत पूजा-अर्चना के साथ आरंभ हुआ।
इससे पूर्व, श्री डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत द्वारा गाडूघड़ा तेल कलश को राजमहल के सुपुर्द किया गया। इस पवित्र प्रक्रिया के उपरांत, राजपुरोहित कृष्ण प्रसाद उनियाल ने पंचांग गणना कर कपाट खुलने की तिथि का निर्धारण किया।
तिथि निर्धारण की इस परंपरा को पूर्ण करने के बाद, नरेंद्रनगर राजमहल में महाराजा मनुजयेंद्र शाह ने आधिकारिक रूप से बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि की घोषणा की।
बद्रीनाथ धाम की इस महत्वपूर्ण तिथि के निर्धारण के लिए सुबह से ही नरेंद्रनगर राजदरबार में धार्मिक अनुष्ठान प्रारंभ हो गया था।(badrinath )
वैदिक मंत्रोच्चार, पूजन और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के पश्चात पंचांग के आधार पर विधिवत रूप से कपाट खुलने की तिथि घोषित की गई।
इस पावन अवसर पर उपस्थित भक्तगणों और धर्माचार्यों ने पूरे श्रद्धा भाव से पूजन किया और इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने।
गाडूघड़ा तेल कलश यात्रा
इसके साथ ही, यह भी घोषित किया गया कि आगामी 22 अप्रैल को तिलों के तेल को पिरोने की प्रक्रिया संपन्न होगी। उसी दिन गाडूघड़ा तेल कलश यात्रा का शुभारंभ किया जाएगा।
इस यात्रा के दौरान पारंपरिक विधि-विधान के साथ गाडूघड़ा तेल कलश को बद्रीनाथ धाम पहुंचाने की प्रक्रिया संपन्न होगी। यह यात्रा सदियों पुरानी परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें भक्तगण बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ भाग लेते हैं।
बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि की घोषणा के साथ ही पूरे क्षेत्र में श्रद्धालुओं में हर्ष और उल्लास की लहर दौड़ गई।(badrinath)
इस शुभ अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया और पूरे वातावरण में भक्तिमय उल्लास व्याप्त हो गया।
बद्रीनाथ धाम हिंदू धर्म के प्रमुख चार धामों में से एक है और हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। कपाट खुलने की तिथि घोषित होने के साथ ही यात्रा की तैयारियां भी जोर-शोर से प्रारंभ हो जाती हैं।
धार्मिक परंपराओं का यह दिव्य आयोजन न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास को भी और अधिक दृढ़ करता है।
राजमहल में संपन्न हुए इस ऐतिहासिक निर्णय के साथ, अब सभी भक्तजन बद्रीनाथ धाम की यात्रा हेतु अपनी तैयारियों में जुट गए हैं और भगवान बद्रीनाथ के दर्शन हेतु उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं।
30 अप्रैल 2025 से धाम यात्रा शुरू
बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय करने के लिए राजमहल में भव्य धार्मिक समारोह का आयोजन किया गया। यह समारोह सुबह साढ़े दस बजे से विधिवत पूजा-अर्चना के साथ आरंभ हुआ।
इससे पूर्व, श्री डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत द्वारा गाडूघड़ा तेल कलश को राजमहल के सुपुर्द किया गया। इस पवित्र प्रक्रिया के उपरांत, राजपुरोहित कृष्ण प्रसाद उनियाल ने पंचांग गणना कर कपाट खुलने की तिथि का निर्धारण किया।(badrinath )
तिथि निर्धारण की इस परंपरा को पूर्ण करने के बाद, नरेंद्रनगर राजमहल में महाराजा मनुजयेंद्र शाह ने आधिकारिक रूप से बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि की घोषणा की।
बद्रीनाथ धाम की इस महत्वपूर्ण तिथि के निर्धारण के लिए सुबह से ही नरेंद्रनगर राजदरबार में धार्मिक अनुष्ठान प्रारंभ हो गया था।
वैदिक मंत्रोच्चार, पूजन और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के पश्चात पंचांग के आधार पर विधिवत रूप से कपाट खुलने की तिथि घोषित की गई।
इस पावन अवसर पर उपस्थित भक्तगणों और धर्माचार्यों ने पूरे श्रद्धा भाव से पूजन किया और इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने।
इसके साथ ही, यह भी घोषित किया गया कि आगामी 22 अप्रैल को तिलों के तेल को पिरोने की प्रक्रिया संपन्न होगी।
उसी दिन गाडूघड़ा तेल कलश यात्रा का शुभारंभ किया जाएगा। इस यात्रा के दौरान पारंपरिक विधि-विधान के साथ गाडूघड़ा तेल कलश को बद्रीनाथ धाम पहुंचाने की प्रक्रिया संपन्न होगी।(badrinath )
यह यात्रा सदियों पुरानी परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें भक्तगण बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ भाग लेते हैं।
अक्षय तृतीया से चार धाम यात्रा (badrinath)
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि परंपरागत रूप से श्री गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन खुल जाएंगे।
गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर समिति द्वारा अक्षय तृतीया के दिन दोनों धामों के कपाट खुलने का समय तय किया जाएगा। इस साल 30 अप्रैल से चार धाम यात्रा की शुरुआत हो रही है।
इसके अलावा, केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि शिवरात्रि बुधवार 26 फरवरी को पंचांग गणना के पश्चात तय होगी।(badrinath )
कपाट खुलने की तिथि तय करने के लिए श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में 26 फरवरी को सुबह 9.30 बजे से समारोह शुरू होगा। वहीं, द्वितीय केदार मद्महेश्वर तथा तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट खुलने की तिथि वैशाखी के दिन तय होगी।
बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि की घोषणा के साथ ही पूरे क्षेत्र में श्रद्धालुओं में हर्ष और उल्लास की लहर दौड़ गई।
इस शुभ अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया और पूरे वातावरण में भक्तिमय उल्लास व्याप्त हो गया।
बद्रीनाथ धाम हिंदू धर्म के प्रमुख चार धामों में से एक है और हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। कपाट खुलने की तिथि घोषित होने के साथ ही यात्रा की तैयारियां भी जोर-शोर से प्रारंभ हो जाती हैं।
धार्मिक परंपराओं का यह दिव्य आयोजन न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास को भी और अधिक दृढ़ करता है।(badrinath )
राजमहल में संपन्न हुए इस ऐतिहासिक निर्णय के साथ, अब सभी भक्तजन बद्रीनाथ धाम की यात्रा हेतु अपनी तैयारियों में जुट गए हैं और भगवान बद्रीनाथ के दर्शन हेतु उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं।
महाशिवरात्रि पर पंचांग गणना
महाशिवरात्रि पर पंचांग गणना के तहत केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 26 फरवरी को ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ में निर्धारित की जाएगी।
यह निर्णय रावल, धर्माधिकारी और वेदपाठी मिलकर लेंगे। इस वर्ष चारधाम यात्रा 30 अप्रैल, अक्षय तृतीया से प्रारंभ होगी, जिसमें परंपरागत रूप से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट इसी दिन खुलेंगे।
गंगोत्री मंदिर समिति हिंदू नववर्ष पर गंगोत्री धाम के कपाट खुलने की घोषणा करेगी, जबकि यमुनोत्री मंदिर समिति यमुना जयंती के अवसर पर यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के समय और देवडोलियों के धाम पहुंचने के कार्यक्रम की जानकारी देगी।
द्वितीय केदार मद्महेश्वर और तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि वैशाखी पर्व पर तय होगी।(badrinath )