badrinath dham: उत्तराखंड में स्थित चारधाम में से एक बदरीनाथ धाम में आज नए रावल की नियुक्ति की जाएगी. बद्रीनाथ की पूजा करने वाले मुख्य पुजारी को रावल कहते हैं. मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश और बद्रीनाथ जी की मूर्ति को स्पर्श करने का अधिकार सिर्फ रावल को ही है. इसके लिए तैयारिया आज से शुरू कर दी गई है. बद्रीनाथ मंदिर रावल द्वारा भगवान की पूजा करने की परंपरा 1776 से शुरू हुई. बदरीनाथ धाम में अबतक 20 रावल हुए हैं। अभी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी मंदिर के रावल हैं.
नए रावल का तिलपात्र आज
वर्तमान रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने पारिवारिक और स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते बदरीनाथ धाम के रावल पद से इस्तीफा दे दिया था. बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ने धाम में तैनात नायब रावल अमरनाथ नंबूदरी को नए रावल के लिए नियुक्त कर दिया है. आज रावल पद पर अमरनाथ नंबूदरी का तिलपात्र किया जाएगा. यह परंपरा लगभग ढ़ाई सौ साल से यानी 1776 से चली आ रही है. 13 और 14 जुलाई को तिलपात्र की प्रक्रियाएं संपन्न की जाएगी. इन प्रक्रियाओं के दौरान वर्तमान रावल नए रावल को पाठ, मंत्र के साथ गुरु मंत्र भी देंगे
14 जुलाई को संभालेंगे नए रावल की गद्दी
नए रावल 14 जुलाई को शयनकालीन पूजा के लिए छड़ी के साथ मंदिर में प्रवेश करने के साथ वह धाम में पूजा-अर्चना शुरू कर देंगे. इस परंपरा में सबसे पहले 13 जुलाई को सबसे पहले नवनियुक्त रावल का मुंडन किया जाएगा. उसके बाद नए रावल का जनेऊ बदला जाएगा. फिर वे बदरीनाथ धाम में स्थित पंच धाराओं कुर्मधारा, प्रह्लाद धारा, इंद्र धारा, उर्वशी और भृगु धारा में स्नान करेंगे. स्नान के बाद रावल बदरीनाथ मंदिर में आएंगे. मंदिर में धर्माधिकारी और वेदपाठी वैदिक मंत्रोचार के साथ तिलपात्र की प्रक्रियाएं संपन्न कराएंगे. सभी प्रक्रियाओं को करने के बाद हवन किया जाएगा.
गोपाल नंबूदरी थे पहले रावल
14 जुलाई को सुबह वर्तमान रावल भगवान बदरीविशाल का अभिषेक करेंगे और बालभोग लगाएंगे. इस प्रक्रिया में नए रावल भी मौजूद रहेंगे.बालभोग के बाद वर्तमान रावल नए रावल को पाठ, मंत्र व गुरुमंत्र (मंदिर में होने वाली पूजाएं, मंत्र आदि) देंगे जिसके बाद नए रावल अपने निवास पर चले जाएंग. 14 जुलाई को शयनकालीन पूजा करने के लिए नए रावल छड़ी के साथ मंदिर में प्रवेश करेंगे और बदरीनाथ में होने वाली सभी पूजाएं शुरू करेंगे. बदरीनाथ के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि वर्तमान रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी का 2014 में तिलपात्र उन्होंने ही संपन्न कराया था. शंकराचार्य के ब्रह्मलीन होने के बाद टिहरी नरेश ने मंदिर में पूजा करने के लिए गोपाल नंबूदरी को मंदिर का पहला रावल नियुक्त किया था.