Keadrnath flood: देवभूमि उत्तराखंड में आपदाओं का दौर लगातार जारी है. इस मौसम में यहां हर समय खतरा बना रहता है. बारिश के मौसम में पहाड़ी इलाकों में हर समय भूस्खलन का डर रहता ही है. 31 जुलाई को केदारघाटी में 2013 जैसी एक आपदा देखी गई थी.
2013 का आपदा से सबक लेकर SDRF की टीम ने समय रहते यात्रियों का रेस्क्यु कर लिया था. उस आपदा को अभी एक हफ्ता हुआ ही था कि खबर मिली कि केदारघाटी में फिर से पहाड़ दरक रहे है.
एक हफ्ते के भीतर ही केदार घाटी में फिर से लैंडस्लाइड की घटना हुई है. इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं. इन तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि पहाड़ की चोटी से पत्थर और बोल्डर किस तरह से नीचे गिरते हुए आ रहे हैं.
इस भूस्खलन के कारण गौरीकुंड-सोनप्रयाग मार्ग भी अवरुद्ध हो गया है. स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने केदार घाटी की ओर जाने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सावधान किया है. हाल ही में, एक अगस्त को भी यहां भूस्खलन हुआ था, जिसमें फंसे लोगों को प्रशासन ने बड़ी मुश्किल से रेस्क्यू किया था.
सोनप्रयाग और गौरीकुण्ड के बीच की घटना
केदारघाटी में आए श्रद्धालुओं को मुताबिक केदार घाटी में एक बार फिर से पहाड़ी दरक रही हैं. पहाड़ से बड़े-बड़े बोल्डर टूट कर नीचे की ओर सरक रहे हैं. दूर से पूरी पहाड़ी ही टूटती नजर आती है.
कई लोगों ने केदारघाटी में इस तरह से हो रही लैंड स्लाइड की तस्वीरें और वीडियो अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद किया है. यही तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं.
वायरल हो रही तस्वीरें केदारनाथ मार्ग के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग और गौरीकुण्ड के बीच मुनकटिया के पास की हैं.
सोन प्रयाग-गौरकुंड मार्ग ध्वस्त
बता दें कि सोनप्रयाग में सेान गंगा और मंदाकिनी का संगम होता हैं. हर साल बारिश के दिनों में, खासतौर पर हिमालय पर भारी बारिश होती है तो ये दोनों नदिया उफान पर रहती हैं. इन नदियों में तेज धार की वजह से किनारे के इलाकों में कटाव भी होता है.
जब ये नदिया नीचे की ओर कटाव करती है तो ऊपर से पहाड़ी दरकने लगती है और इस प्रकार लैंड स्लाइड की घटनाएं होती रहती हैं. इस कटान और लैंड स्लाइड की वजह से सोन प्रयाग-गौरकुंड मार्ग ध्वस्त हो गया हैं.
बंद हो गया केदारघाटी का पैदल मार्ग
ऐसे हालात में सोन प्रयाग से केदार घाटी को जोड़ने वाला यह पैदल रास्ता भी बंद हो गया है. हालात को देखते हुए प्रशासन ने श्रद्धालुओं और पर्यटकों को खतरे से आगाह करते हुए इन रास्तों से नहीं जाने की अपील की है.
बता दें कि एक अगस्त को ही केदार घाटी में बादल फटने और लैंड स्लाइड होने की घटना हुई थी. इसमें करीब साढ़े नौ हजार लोग फंस गए थे. ऐसे हालात में लोगों को रेस्क्यू करने के लिए सेना बुलानी पड़ी थी.
वहीं बाढ़ के पानी में फंसे लोगों को हेलीकॉप्टर की मदद से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था. इस हादसे में करीब आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत भी हो गई थी.
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