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CHARDHAM YATRA: सावधान! देवभूमि उत्तराखंड में चारधाम की यात्रा करने से बचें अन्यथा…

CHARDHAM YATRA

CHARDHAM YATRA2024: देशभर में मानसून का दौर जारी है. पहाड़ों से लेकर मैदानों तक भारी बारिश का दौर जारी है. पहाड़ों में भूस्खलन (landslide) की घटनाएं जगह-जगह देखने को मिल रही है. उत्तराखंड में खराब मौसम को देखते हुए चारधाम यात्रा (CHARDHAMYATRA)  को टालने की अपील की गई है. मौसम विभाग केंद्र की तरफ से श्रद्धालुओं से कुछ समय के लिए सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसा कहा गया. मौसम विभाग की तरफ से राज्य में भारी बारिश के लिए येलो अलर्ट (YELLOWALERT) जारी किया गया है. पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में इन दिनों लैंडस्लाइड की घटनाएं हो रही है. मानसून का मौसम घूमने के हिसाब सबसे अच्छा माना जाता है. ऐसे में सभी लोग पहाड़ों का रूख कर रहे है. जो लोग भी घूमने और ट्रकिंग के लिए उत्तराखंड जाने की सोच रहे है या जो लोग चारधाम के दर्शन करने की योजना बना रहे है वह अभी कुछ समय के लिए रूक जाएं. राज्य में अलग-अलग स्थानों में भूस्खलन की खबरों से कई क्षेत्रों में वाहनों आवाजाही को भी रोक दिया गया है. ऐसे में चार धाम की यात्रा के लिए जाने वालो लोगों को मौसम की भी मार झेलनी पड़ सकती है. जो लोग फिलहाल चारधाम की यात्रा कर रहे है उनको प्रशासन वापस बैसकैंप भेज रहा है. बारिश के दिनों में पहाड़ों में फिसलन हो जाती है. इस कारण पहाड़ भी दरकनें लगते है. बद्रीनाथ (BADRINATH) जाने वाले रास्ते में सबसे ज्यादा भूस्खलन की घटनाएं हो रही है.

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70 से ज्यादा रास्तों को बंद किया
श्रद्धालुओं को भूस्खलन जैसे प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त सावधानी बरतने की भी सलाह दी गई. मौसम विभाग के मुताबिक, देहरादून, उधम सिंह नगर, चंपावत, नैनीताल, हरिद्वार, केदारनाथ में गरज के साथ भारी बारिश की संभावना है. साथ ही कई जगहों में तूफान और बिजली चमकने की भी आशंका जताई गई है. राज्य में भारी बारिश और लैंडस्लाइड के कारण बहुते से रास्ते बंद हो गए है. ऐसे में 70 से ज्यादा रास्तों को बंद किया है. 9 जुलाई और 10 जुलाई को 200 से ज्यादा रास्ते प्रभावित थे. रास्ता अवरूद्ध होने के कारण गाड़ियों की आवाजाही को रोक दिया गया था. इनमें से कई रास्तों को गुरुवार 11 जुलाई को खोल दिया गया है, बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी बुधवार को अचानक भूस्खलन होने की तस्वीरें सामने आई थीं. ये भूस्खलन पातालगंगा लंगसी टनल के पास भूस्खलन हुआ था. फिलहाल भूस्खलन होने के कारण किसी तरह का कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ. फिर भी मौसम विभाग ने दुर्घटना से बचने के लिए श्रद्धालुओं से अपील की है. बारिश के येलो अलर्ट के कारण श्रद्धालुओं को चार धाम यात्रा को कुछ समय के लिए टालने की अपील की है.

आपदाओं का केंद्र…उत्तराखंड
किसी तरह के बड़े हादसे को होने से रोकने के लिए इस तरह के ऐतिहात बरते जा रहे हैं. ऐसे में भक्तों को मंदिर तक जाने में देरी हो सकती है, लेकिन वो सुरक्षित रहेंगे. देवभूमि उत्तराखंड को वैसे भी आपदाओं का केंद्र माना जाता है. सबसे पहले केदारघाटी में जून 2013 में भयावह आपदा का मंजर देखने को मिला था. विनाशकारी जलप्रलय में ना जाने कितने लाखों लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. उसके बाद 2020 में चमौली में जलप्रलय की विनाशकारी लीला सामने आई थी. उत्तराखंड में भूस्खलन तो आए दिन होते ही रहते है. बारिश के दिनों में सबसे ज्यादा लैंडस्लाइड की घटनाएं होती रहती है. आने वाली दुर्घटनाओं से बचने के लिए मौसम विभाग ने एडवाइजडरी जारी की है.

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