देहरादून | उत्तराखंड के नाम अब एक और उपलब्धि जुड़ गई है। अब जीएसटी में बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण लागू करने वाला देश का चौथा, जबकि उत्तर भारत का पहला राज्य बन गया है। यहां इसका शुभारंभ बुधवार को वित्त मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने रिबन काटकर किया।
जीएसटी पंजीकरण के लिए बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण
डा. अग्रवाल ने बताया कि नयी दिल्ली में आहूत जीएसटी परिषद की 53वीं बैठक में चरणबद्ध रूप से अखिल भारतीय स्तर पर पंजीकरण आवेदकों के लिए बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण को लागू करने की सिफारिश की गई थी। वित्त मंत्री ने कहा कि इस क्रम में उत्तराखंड राज्य में बायोमेट्रिक आधारित की गई है। इससे पूर्व गुजरात, पुद्दुचेरी तथा आंध्रप्रदेश में यह व्यवस्था है।
जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तुत ऐसे पंजीयन आवेदन पत्रों, जिन्हें कतिपय जोखिम मानकों तथा डाटा विश्लेषण के आधार पर पोर्टल पर चिन्हित होगा। इसके सम्बन्ध में दस्तावेज़ों का सत्यापन कमिश्नर द्वारा अधिसूचित जीएसटी सुविधा केंद्र से कराया जाएगा। डॉ अग्रवाल ने बताया कि राज्य में बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण को किये जाने के लिए राज्य कर विभाग के भवन में जीएसटी सुविधा केंद्र स्थापित किया गया है।
फर्जी पंजीकरणों की रोकथाम
जिसके माध्यम से दस्तावेज़ों का सत्यापन सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण राज्य में ऐसे 22 जीएसटी सुविधा केंद्र स्थापित किये गए हैं। उन्होंने बताया कि कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा जीएसटी में आसान पंजीयन प्रक्रिया का अनुचित लाभ लेते हुए फर्जी पंजीयन प्राप्त किये गए हैं तथा राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया है। उन्होंने बताया कि इससे जीएसटी में पंजीकरण प्रक्रिया बेहतर होगी और फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर प्राप्त किये जाने वाले पंजीयनों तथा फर्जी इनवॉइस के माध्यम से लिए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को रोकने में सहायता मिलेगी।
गुजरात राज्य में बायोमेट्रिक आधारित आधार लागू किये जाने के बाद से पंजीयन आवेदन पत्रों में लगभग 55 फीसदी की कमी दर्ज की गयी है, जो इस बात का द्योतक है कि राज्य में फर्जी पंजीयन आवेदन पत्रों की संख्या कम हुई हैं। इस व्यवस्था को लागू किये जाने पर राज्य में वार्षिक लगभग 100 करोड़ से 150 करोड़ तक को रोकना संभव हो सकेगा। इस अवसर पर सचिव, वित्त, विनोद कुमार सुमन, आयुक्त, कर, डॉ अहमद इकबाल सहित अन्य विभागीय अधिकारी तथा कर्मचारी उपस्थित थे।
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