नई दिल्ली। कांवड़ यात्रा के रास्ते में पड़ने वाले दुकानों में दुकानदारों के नाम लिखने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर राजनीति तेज हो गई है। विपक्षी पार्टियो के साथ साथ अब भाजपा की सहयोगी पार्टियों ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया है। सरकार का कहना है कि कांवड़ यात्रियों की शुचिता बनाए रखने के लिए यह फैसला किया गया है। उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखंड के हरिद्वार में भी यह आदेश लागू कर दिया गया है। इस आदेश में कहा गया है कि कांवड़ यात्रा के रास्ते में आने वाली दुकानों पर बड़े अक्षरों में मालिकों का नाम लिखना होगा। माना जा रहा है कि मुसलमानों की पहचान के लिए यह आदेश दिया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश के खिलाफ भाजपा की तीन सहयोगियों पार्टियां खुल कर सामने आ गई हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल और बिहार की दो सहयोगी पार्टियों, जनता दल यू और लोक जनशक्ति पार्टी ने इसका विरोध किया है। केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल ने इस आदेश का विरोध किया है और कहा है कि इससे एक गलत परंपरा की शुरुआत होगी।
इसी तरह केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी, रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कांवड़ यात्रा पर यूपी सरकार के आदेश पर कहा कि वे फैसले का समर्थन नहीं करते। जाति या धर्म के नाम पर किसी भी विभाजन का समर्थन नहीं करते हैं। समाज में सिर्फ दो वर्ग अमीर और गरीब हैं। विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग इसी दोनों श्रेणियों में आते हैं। जनता दल यू के महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा- इससे बड़ी कांवड़ यात्रा बिहार में निकलती है, वहां इस तरह का कोई आदेश नहीं है। पीएम मोदी की जो व्याख्या भारतीय समाज, एनडीए के बारे में है, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’, यह प्रतिबंध इस नियम के खिलाफ है। इस पर पुनर्विचार हो तो अच्छा है।
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए कहा- यह फैसला चुनावी लाभ के लिए है। यह प्रयास धर्म विशेष के लोगों का आर्थिक बायकॉट करने का है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस फैसले को लोकतंत्र पर हमला बताया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा- यह अव्यावहारिक कार्य है। इसको तत्काल निरस्त करना चाहिए।