प्रयागराज। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मलमास शुरू होने से एक दिन पहले शुक्रवार, 13 दिसंबर को प्रयागराज में महाकुंभ का कलश स्थापित किया। इस मौके पर उन्होंने कुंभ की महत्ता भी समझाई और वहीं से करीब 57 सौ करोड़ रुपए की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया। प्रधानमंत्री ने गंगा में क्रूज की सवारी भी की और उसे से संगम तट पर पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा को चुनरी और दूध चढ़ाया।
इस मौके पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा- गुलामी के कालखंड में भी कुंभ की आस्था नहीं रुकी। प्रधानमंत्री ने कहा- संगम आकर संत-महंत, ऋषि-मुनि, ज्ञानी-विद्वान सब एक हो जाते हैं। जातियों का भेद खत्म हो जाता है। संप्रदायों का टकराव मिट जाता है। प्रयागराज वो स्थान है, जिसके प्रभाव के बिना पुराण पूरे नहीं होते। इसलिए मैं कहता हूं कि ये महाकुंभ, एकता का महायज्ञ है। इसमें हर तरह के भेदभाव की आहुति दी जाती है।
इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी अरैल घाट से निषादराज क्रूज में सवार होकर संगम तट पर पहुंचे। वहां उन्होंने साधु-संतों से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने गंगा पूजन किया। गंगा को चुनरी और दूध चढ़ाई। सेल्फी प्वाइंट पर फोटो खिंचवाई। इसके बाद प्रधानमंत्री ने अक्षयवट की परिक्रमा की और फिर लेटे हनुमान जी की आरती उतारी, भोग अर्पित किया। मोदी ने सरस्वती कूप में दूध डाला और हनुमान मंदिर कॉरिडोर का मॉडल भी देखा। उनके साथ राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे। प्रधानमंत्री करीब तीन घंटे तक प्रयागराज में रहे और दोपहर ढाई बजे दिल्ली के रवाना हो गए।