लखनऊ। उत्तर प्रदेश की नौ सीटों पर हो रहे उपचुनाव में सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दिग्गजों की अग्निपरीक्षा है। कांग्रेस के मैदान से बाहर होने से अब चुनाव भाजपा और सपा के बीच माना जा रहा है। हालांकि बसपा भी त्रिकोणीय लड़ाई बनाने में जुटी है। भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगातार तीन दिनों तक ताबड़तोड़ प्रचार कर हर सीट पर माहौल बनाने का प्रयास किया। अखिलेश यादव भी सियासी रुख को भांप रहे हैं। राजनीति के जानकारों के मुताबिक उपचुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सपा मुखिया अखिलेश यादव और मायावती की प्रतिष्ठा दांव पर है। हालांकि 2027 का यूपी विधानसभा चुनाव अभी दूर है, लेकिन इस उपचुनाव को विधानसभा के सेमीफाइनल की तरह देखा जा रहा है। यही कारण है सभी दलों ने इसे जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
अंबेडकर नगर की कटेहरी विधान सभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने पूर्व विधायक धर्मराज निषाद को अपना उम्मीदवार बनाया है। सपा ने लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती को टिकट दिया है। वहीं बसपा ने अमित वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया ही। भाजपा ने कटेहरी सीट के लिए जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को प्रभारी बनाकर उन्हें एक बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी है। वह चुनाव की घोषणा के कई माह पहले से ही यहां कैंप कर रहे हैं और पूरी शिद्दत से यहां भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं। उनके साथ राज्य मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु भी प्रचार की कमान थामे हुए हैं। भाजपा की सहयोगी पार्टी सुभासपा के अध्यक्ष और प्रदेश सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी कटेहरी विधानसभा उपचुनाव में अपने कार्यकर्ताओं के साथ पूरा जोर लगा रहे हैं। इस सीट पर सपा ने राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल को प्रभारी बनाकर उतारा है।
वह खुद प्रचार की कमान संभाले हैं। वहीं इसी सीट से विधायक रहे अब सांसद बने लालाजी वर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर है। उनकी पत्नी यहां से सपा की उम्मीदवार हैं। वहीं, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ कटेहरी विधानसभा क्षेत्र में जनसभा कर चुके हैं और यहां की जनता को करोड़ो की सौगात भी दे चुके हैं। अंबेडकरनगर कभी बसपा का गढ़ रहा है, पार्टी यहां अपनी खोई जमीन पाने की कोशिश कर रही है। शायद इसीलिए बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल लगातार कटेहरी में सक्रिय हैं। उपचुनाव की सबसे हॉट सीट करहल है। यहां पर मुलायम के परिवार की साख दांव पर है। इस सीट पर मुलायम के पोते और अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप को सपा ने उम्मीदवार बनाया ही।
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वहीं, सूबे की सत्ता पर काबिज भाजपा ने इस सीट से मुलायम सिंह यादव के भाई अभयराम यादव के दामाद अनुजेश यादव को मैदान में उतारा है। मुलायम सिंह यादव के परिवार के बेटे और दामाद की लड़ाई ने यादव बाहुल्य करहल की चुनावी जंग को दिलचस्प बना दिया है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के लिए भी यहां से भाजपा की हार का सूखा खत्म करने का बड़ा लक्ष्य है। इसके साथ ही योगेंद्र उपाध्याय, जयवीर सिंह और अजीत पाल जैसे मंत्रियों की प्रतिष्ठा इस चुनाव से जड़ी हुई है। वहीं इस सीट पर मुलायम परिवार के सभी सदस्य लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं। सपा सांसद डिंपल यादव इस सीट पर प्रचार कर रही हैं। इसके अलावा शिवपाल यादव, बदायूं से सांसद आदित्य यादव, आजमगढ़ से सांसद धर्मेंद्र यादव भी इस सीट पर लगातार पसीना बहा रहे हैं।
प्रयागराज से सटी हुई फूलपुर कुर्मी बाहुल्य होने की वजह से यहां से भाजपा सरकार के एमएसएमई मंत्री राकेश सचान और सपा महासचिव इंद्रजीत सरोज डटे हैं। यह सीट उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद की प्रतिष्ठा से भी जुड़ी हुई है। कुंदरकी विधानसभा में भाजपा ने रामवीर को उम्मीदवार बनाया है। सपा ने पूर्व विधायक रिजवान पर दांव लगाया है। भाजपा ने यहां से सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर और जसवंत सिंह को प्रभारी बनाया है। यहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी खूब पसीना बहा रहे हैं। सपा ने यहां कई विधायकों और सांसदों को लगाया है। कानपुर की सीसामऊ सीट पर सपा ने जेल में बंद विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने यहां सुरेश अवस्थी पर दांव खेला है। भाजपा ने इस इलाके में सरकार के वित्तमंत्री सुरेश खन्ना को प्रभारी बनाया है।
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इस सीट पर अन्य दिग्गज भी लगे हैं। यहां भी दिग्गजों की कड़ी परीक्षा है। मझवां में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और उनके पति आशीष पटेल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। मीरापुर सीट से रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर है। खैर सीट पर सपा भाजपा दोनों दलों के दिग्गजों ने कमान संभाल रखी है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि उपचुनाव में सभी दलों ने पूरा जोर लगा रखा है। भाजपा ने हर बार की तरह मंत्रियों और संगठन की पूरी फौज उतार रखी है। तो वहीं सपा ने भी भाजपा की तरह हर सीट के लिए प्रभारी बनाए हैं। इसके बाद सांसदों और विधायकों को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है। मुख्यमंत्री योगी और अखिलेश की प्रतिष्ठा से यह चुनाव जुड़ गया है। इस चुनाव के परिणाम दोनों दलों के दिग्गजों के सियासी कद को तय करेंगे।