नई दिल्ली। पंजाब और तमिलनाडु के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने केरल के राज्यपाल पर तीखी टिप्पणी की है। केरल सरकार बनाम राज्यपाल के मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने विधानसभा से पास विधेयकों या सरकार की ओर से मंजूर अध्यादेशों को लंबित रखने के मामले में तीखी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने केरल के राज्यपाल पर सवाल उठाए और कहा कि दो साल तक वो बिलों को लेकर क्या कर रहे थे? अदालत ने कहा कि जैसे राज्यपाल की संवैधानिक जवाबदेही है, वैसे ही अदालत की भी संविधान और लोगों के प्रति जवाबदेही है।
सुप्रीम कोर्ट यहां तक कहा कि वह राज्यपालों के अध्यादेशों पर फैसला लेने के लिए गाइडलाइन बनाने पर विचार करेगा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केरल सरकार को याचिका में संशोधन करने की इजाजत दी। अदालत ने कहा कि राज्य के संवैधानिक पदाधिकारियों को कुछ राजनीतिक दूरदर्शिता दिखाने दीजिए। सुनवाई के दौरान राज्यपाल की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि राज्यपाल चाहते हैं कि मुद्दों को मंत्री के साथ राज्यपाल और सीएम के बीच बैठक के माध्यम से हल किया जाए। इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- हम कहेंगे कि राज्यपाल मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्री को आमंत्रित करें, जिनके विभाग के तहत इससे संबंधित विधेयक लंबित है।
केरल सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल ने कहा कि आठ लंबित विधेयकों में से राज्यपाल ने बिना कोई कारण बताए सात विधेयक राष्ट्रपति के लिए भेज दिए हैं। उनहोंने कहा- समय आ गया है कि अदालत इस मामले में दखल दे। उन्होंने कहा कि अदालत राज्यपाल के लिए बिलों पर फैसला करने के लिए गाइडलाइन जारी करे। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में केरल के राज्यपाल द्वारा विधानसभा से पास बिलों पर मंजूरी नहीं दिए जाने का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यपाल ऑफिस को नोटिस जारी किया था।