नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को कर्नाटक में भ्रष्टाचार को लेकर भारी हंगामा हुआ और सभापति जगदीप धनखड़ को आक्रोशित सदस्यों का नाम इंगित करने की चेतावनी देनी पड़ी। धनखड़ ने सुबह सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए आवश्यक दस्तावेज पटेल पर रखवायें। इसके बाद उन्होंने बताया कि कर्नाटक में महर्षि वाल्मीकि जनजाति विकास निगम में भ्रष्टाचार समेत कई मु्द्दों पर उन्हें नियम 267 के तहत नोटिस मिले हैं। इन्हें प्रावधानों के अनुरूप नहीं होने के कारण अस्वीकार किया जाता है।
इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के ईरान्ना बी कडाडी ने अपना नोटिस खारिज होने पर कड़ी आपत्ति की और कागज लहराने लगे। धनखड़ ने कहा कि यह सदन की गरिमा के अनुरूप नहीं है। सदस्यों को समझना चाहिए कि नियम 267 का प्रयोग असाधारण स्थितियों में होता है। उन्होंने इस मुद्दे को विशेष उल्लेख के जरिए उठाने की अनुमति दी है। इस पर भी कडाडी शांत नहीं हुए तो धनखड़ ने कहा कि वह उनका नाम इंगित करेंगे।
इस मामले पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलने की अनुमति दी जानी चाहिए, हालांकि सभापति का निर्णय सर्वोच्च है। बाद में शून्य काल के दौरान धनखड़ ने कडाडी को इस मुद्दे पर बोलने की अनुमति दी तो कांग्रेस समेत विपक्ष के कई सदस्यों ने भारी हंगामा किया। कडाडी ने कहा कि कर्नाटक में महर्षि वाल्मीकि जनजाति विकास निगम का कोष अवैध तरीके से स्थानांतरित किया गया है। उन्होंने अपना वक्तव्य कन्नड़ भाषा में दिया।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, पी चिदंबरम, रणदीप सिंह सुरजेवाला और मुकुल वासनिक ने इसका विरोध करते हुए कहा कि राज्यों के मुद्दों को उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। समाजवादी पार्टी की जया बच्चन और तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव ने भी उनका समर्थन किया।
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