हुबली (कर्नाटक)। कोलकाता (Kolkata) के आरजी कर मेडिकल कालेज (RG Kar Medical College) में ट्रेनी डॉक्टर की हत्या के बाद पूरे देश में डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन (Protests) जारी है। इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) के निंदा प्रस्ताव के बाद कर्नाटक के हुबली में डॉक्टरों ने हड़ताल करने का ऐलान कर दिया है। शहर में निजी डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से आपात सेवाओं को छोड़कर, ओपीडी सहित सारी स्वास्थ्य सेवाएं बंद रहेंगी। इस ऐलान के बाद शहर में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बिगड़ने का अनुमान है। डॉक्टर्स की हड़ताल को देखते हुए प्रशासन अलर्ट मोड में है। शहर में कोई अव्यवस्था न फैले, इस वजह से प्रशासन ने शहर में भारी संख्या में सैन्य बल तैनात कर दिए हैं।
बता दें, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना के बाद दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, कोलकाता और वड़ोदरा जैसे शहरों में डॉक्टर हड़ताल कर धरना दे रहे हैं, जिसकी वजह से पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। गौरतलब है कि पिछले दिनों 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल की महिला डॉक्टर रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाई गई थी। वह अस्पताल में स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की मेडिकल छात्रा थीं और हाउस स्टाफ के रूप में भी काम कर रही थीं। अस्पताल के कर्मचारियों ने अस्पताल की आपातकालीन बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर उनका शव देखा था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने मामले को फास्ट-ट्रैक कोर्ट (Fast-Track Courts) में ले जाने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो आरोपियों को फांसी की सजा दी जाएगी। आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी इस घटना पर तल्ख टिप्पणी की और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष को शनिवार सुबह कोलकाता के साल्ट लेक कार्यालय में फिर से पूछताछ के लिए बुलाया है। वो वहां पहुंच चुके हैं। इससे पहले शुक्रवार को भी उनसे कई घंटों तक पूछताछ की गई।
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि पीड़ित महिला डॉक्टर के परिवार के सदस्यों ने सीबीआई के अधिकारियों को बताया कि उनकी बेटी ने शिकायत की थी कि उस पर अनावश्यक दबाव डाला जाता है और उसे अक्सर ज्यादा देर तक ड्यूटी पर रखा जाता था। सूत्रों ने बताया कि घोष से पूछताछ कर केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या घोष को आरजी कर के तत्कालीन प्रिंसिपल के रूप में इस तरह के घटनाक्रम की जानकारी थी और यदि थी तो क्या उन्होंने व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कोई कदम उठाया।
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