नई दिल्ली। रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक (Sakshi Malik) ने अपने कुश्ती सफर का विवरण देते हुए पुरुष प्रधान खेल में एक महिला होने के संघर्षों पर अपनी बात रखी। उन्होंने 2012 की एक घटना का जिक्र किया, जब उन्हें भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के तत्कालीन अध्यक्ष बृज भूषण सिंह से उत्पीड़न सहना पड़ा था। उस समय को याद करते हुए उन्होंने बताया कि अपनी बात कहने से उनका करियर बर्बाद हो सकता था, इसलिए उन्होंने अपना प्रशिक्षण जारी रखने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने को प्राथमिकता दी, भले ही माहौल बेहद चुनौतीपूर्ण था। साक्षी ने कहा मैं काफी समय से किताब लिखना चाहती थी, खासकर ओलंपिक के बाद मैं इस ओर ध्यान देती। मैं चाहती थी कि मेरी कहानी हर कोई जाने और समझे। मेरा मानना था कि इससे मेरे संघर्षों के कारण कई लड़कियों को प्रेरित करे और उन्हें जानकारी दे।
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विरोध प्रदर्शनों के बाद मैंने यह फैसला किया और कुछ दिनों के बाद मैंने सीनियर्स के बारे में बातें सुननी शुरू कर दीं। लोग कहते थे, ‘यह आदमी है’ और ‘वह ऐसा ही है’। 2012 में मेरा एक्सीडेंट हुआ था, जब तत्कालीन अध्यक्ष बृज भूषण सिंह (Brij Bhushan Singh) ने मुझे परेशान किया। मुझे पता था कि यह गलत है और मैंने सीधे तौर पर मना कर दिया, मैंने अपनी किताब में भी कहानी बताई है, वह समय मेरे लिए वाकई बहुत मुश्किल था। साक्षी ने इसलिए कदम उठाने का फैसला किया क्योंकि वह नहीं चाहती थीं कि महिला पहलवानों की आने वाली पीढ़ियां भी उन्हीं कठिनाइयों से गुजरें। उन्होंने अपने द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों पर गर्व व्यक्त किया और कहा कि समय के साथ कुछ बदलाव हुए, जिसमें सत्ता में बैठे कुछ लोगों को हटाना भी शामिल है। हालांकि, सुधार की लड़ाई जारी है और वह इस मुद्दे के लिए प्रतिबद्ध हैं।