Tonk SDM Thappad Kand : राजस्थान के टोंक जिले की देवरी-उनियाला विधानसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान एक निर्दलीय उम्मीदवार द्वारा एसडीएम को थप्पड़ मारने की घटना ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।
बुधवार रात टोंक जिले के समरावता गांव में इस घटना के बाद, गुरुवार सुबह आरोपी नरेश मीणा फिर से वापस आया। पुलिस कल रात से ही नरेश मीणा की तलाश में थी और उसे गिरफ्तार करने वहां पहुंची, लेकिन नरेश मीणा अपने समर्थकों के साथ पहले से मौजूद था।
समर्थकों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। नरेश मीणा ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं और जिला कलेक्टर के बारे में विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि वह मेहंदी लगाकर बैठी हुई थीं।
इस बीच पुलिस ने रात करीब 9 बजे नरेश मीणा को हिरासत में ले लिया। मीणा के समर्थकों को जैसे ही इसकी जानकारी मिली मीणा के समर्थक और भड़क गए. (Tonk SDM Thappad Kand)
थप्पड़ की गूंज से गरमाया टोंक
राजस्थान के टोंक जिले की देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान हुए विवाद का मामला अब तक गरमाया हुआ है।
निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने चुनावी ड्यूटी पर तैनात एसडीएम को थप्पड़ मार दिया, जिसके बाद आरएएस अधिकारियों ने उनकी गिरफ्तारी की मांग करते हुए चेतावनी दी।
पुलिस ने मतदान खत्म होने के बाद रात करीब 8 बजे नरेश मीणा को गिरफ्तार करने के लिए पहुंची। उस समय नरेश मीणा अपने समर्थकों के साथ धरना प्रदर्शन की तैयारी कर रहे थे।
पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने पर नरेश मीणा के समर्थकों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज, हवाई फायरिंग और आंसू गैस के गोले छोड़े।
इस दौरान समर्थकों ने कई जगहों पर आगजनी भी की। पुलिस ने अब तक 60 लोगों को गिरफ्तार किया है और 4 FIR दर्ज की हैं। (Tonk SDM Thappad Kand)
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क्या था नरेश मीणा थप्पड़ कांड
राजस्थान में विधानसभा की सात सीटों पर बुधवार को उपचुनाव के लिए वोटिंग हुई. टोंक जिले की देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर भी वोटिंग हुई. बुधवार दोपहर में वोटिंग के समय एक पोलिंग बूथ पर हंगामा हो गया.
निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने चुनाव ड्यूटी पर तैनात सेक्टर मजिस्ट्रेट की भूमिका निभा रहे एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया. नरेश मीणा कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे थे.
दरअसल, समरावता गांव के मतदाताओं ने अपनी एक मांग के समर्थन में मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा की थी, लेकिन मतदान केंद्र और बूथ तक पहुंचने वाला रास्ता खुला था.
SDM कर रहे थे वोट देने की अपील
जब SDM अमित चौधरी लोगों को वोट डालने के लिए मनाने वहां गए तो निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने उन्हें थप्पड़ मार दिया.
कलेक्टर सौम्या झा ने बताया कि नरेश मीणा उन ग्रामीणों का समर्थन कर रहे थे, जिन्होंने मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा की थी. (Tonk SDM Thappad Kand)
समरावता गांव वर्तमान में नगर फोर्ट तहसील में आता है और ग्रामीण गांव को उनियारा तहसील के अंतर्गत लाने की मांग कर रहे हैं, जो उनके गांव के पास है.
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने कुछ दिन पहले यह मांग उठाई थी और उन्हें 30 अक्टूबर को आश्वासन दिया गया था कि आदर्श आचार संहिता हटने के बाद इस मामले पर विचार किया जाएगा.
चेतावनी के बाद नरेश मीणा को गिरफ्तार करने गई पुलिस ( Tonk SDM Thappad Kand)
नरेश मीणा SDM को थप्पड़ मारने के बाद ग्रामीणो के साथ गांव में धरने पर बैठ गए. समर्थकों को गेंती फावड़े और लाठियों के साथ पहुंचने और पुलिस से भिड़ने की धमकी देने लगे.
इस बीच आरएएस एसोसिएशन ने नरेश मीणा की गिरफ्तारी नहीं करने पर पेन डाउन हड़ताल की चेतावनी दे दी थी. ( Tonk SDM Thappad Kand)
ऐसे में मतदान खत्म होने के बाद रात 8 बजे जैसे ही पुलिस नरेश मीणा को गिरफ्तार करने समरावता पहुंची. नरेश मीणा के समर्थकों ने पत्थरबाजी शुरु कर दी.
लाठियों से पुलिस पर हमला किया. पुलिस ने भी लाठीचार्ज किया. आंसू गैस के गोले छोड़े. करीब दस पुलिसकर्मी इस मुठभेड़ में घायल हो गए. पुलिस ने नरेश मीणा को पकड़ लिया लेकिन समर्थक हिरासत से छुड़ा ले गए.
अब तक 60 लोग गिरफ्तार
नरेश मीणा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा है, ‘मैं ठीक हूं, ना डरे हैं ना डरेंगे, आगे की रणनीति बता दी जाएगी.’ बता दें कि पुलिस ने अभी तक 60 लोगों को गिरफ्तार किया है. साथ ही चार एफआईआर भी दर्ज की है.
मतदान बूथ पर हाथापाई के दौरान मालपुरा एसडीएम अमित चौधरी को नरेश मीणा ने जो थप्पड़ मारा. उसकी गूंज रात के वक्त समरावता गांव के साथ पूरे टोंक प्रशासन ने सुनी.
करीब डेढ़ घंटे तक हिंसा का खुला तांडव इस गांव में हुआ, जिसकी निशानियां अब भी गांव में देखी जा सकती हैं. जगह-जगह जली हुई बाइक, जीप और कारें ये बताने के लिए काफ़ी है.
नरेश मीणा ने की थी प्रदर्शन करने की तैयारी
नरेश मीणा ने गांव के लोगों के साथ रात भर धरना देने की तैयारी कर रखी थी. इसके लिए आस पास के गांवों से भी लड़कों को बुलाया गया था.
कुल मिलाकर पूरे घटनाक्रम में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है और जिस तरह ग्रामीणों ने पुलिस पर गाड़ियां जलाने और घरों में घुसकर मारपीट करने के आरोप लगाए हैं. ये वाकई बड़े सवाल खड़े करता है.