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जैसलमेर के मोहनगढ़ में पानी और गैस का रहस्य, 28 दिसंबर की घटना पर वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला खुलासा

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Jaisalmer News: जैसलमेर के मोहनगढ़ में 28 दिसंबर, 2024 को हुई रहस्यमय घटना ने सभी को चौंका दिया। 8 दिसंबर, 2024 को जैसलमेर जिले की मोहनगढ़ तहसील के चक 27 बीडी गांव में एक अनोखी घटना घटी।

मोहनगढ़ तहसील के चक 27 बीडी गांव में किसान विक्रम सिंह अपने खेत में ट्यूबवेल खुदवा रहे थे, जब अचानक जमीन के नीचे से तेज गति से पानी की धारा फूट पड़ी। पानी का बहाव इतना प्रबल था कि कुछ ही देर में पूरा खेत और आसपास का इलाका जलमग्न हो गया।

इस घटना ने तब और गंभीर रूप ले लिया जब बोरिंग मशीन और ट्रक भी जमीन के अंदर धंस गए। हालात को देखते हुए प्रशासन ने तुरंत 500 मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।

जैसलमेर जैसे सूखाग्रस्त क्षेत्र में इतनी बड़ी मात्रा में पानी कहां से आया? क्या यह पानी हजारों साल पहले बहने वाली सरस्वती नदी का हो सकता है?

और सबसे महत्वपूर्ण सवाल, क्या यह पानी पीने लायक है? क्या यह पानी 5,000 साल पहले यहां से बहने वाली सरस्वती नदी का हो सकता है? साथ ही, क्या यह पानी पीने के योग्य है?…

घटना की जांच के लिए विशेषज्ञों को बुलाया गया। भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास ईणखिया ने घटना का निरीक्षण किया और बताया कि यह घटना भूजल स्तर के असामान्य दबाव का परिणाम हो सकती है।

यह पानी संभवतः प्राचीन जलस्रोत से संबंधित हो सकता है, जो अब तक दबाव में था और खुदाई के कारण बाहर आ गया। इसकी शुद्धता और पीने योग्य होने की जांच के लिए विस्तृत रासायनिक परीक्षण किया जाएगा।

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सरस्वती नदी से कनेक्शन?

इस घटनाक्रम के बाद से कई सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह था कि जैसलमेर जैसे जल संकट से जूझते इलाके में इतनी बड़ी मात्रा में पानी कहां से आया?

डॉ. ईणखिया ने यह भी संभावना जताई कि यह पानी सरस्वती नदी के भूगर्भीय अवशेषों से जुड़ा हो सकता है। हालांकि, यह पुष्टि केवल विशेष वैज्ञानिक परीक्षणों के बाद ही हो पाएगी।

घटना ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है। इलाके के लोगों को अभी भी इस घटना के प्रभावों का डर है। पानी के बहाव को नियंत्रित करना और इस स्रोत की जांच करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।

यह घटना जैसलमेर जैसे रेगिस्तानी इलाके में पानी के अनपेक्षित स्रोत का रहस्य उजागर करती है और इसके साथ ही कई भूवैज्ञानिक और ऐतिहासिक सवाल भी खड़े करती है। इस पर आगे की जांच का इंतजार है।

पानी 60 लाख साल पुराना है?

भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास ईणखिया ने इस रहस्यमयी घटना के बारे में और अधिक जानकारी साझा करते हुए बताया कि ट्यूबवेल से निकलने वाले पानी के साथ सफेद रंग की रेत भी बाहर आई है।

यह रेत भूवैज्ञानिक दृष्टि से टर्शरी काल (तृतीयक युग) की मानी जा रही है, जिसकी अनुमानित उम्र लगभग 60 लाख साल पुरानी है।

प्राचीन पानी और रेत का संबंध

डॉ. ईणखिया के अनुसार, यह सफेद रेत इस बात का संकेत हो सकती है कि इसके नीचे दबा पानी भी लाखों साल पुराना है।

यह खोज जैसलमेर क्षेत्र के भूगर्भीय इतिहास को समझने के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है और संकेत देती है कि यहां प्राचीन काल में जल स्रोतों का बड़ा नेटवर्क मौजूद रहा होगा।

पानी और रेत के सैंपल को आईआईटी जोधपुर के विशेषज्ञों को जांच के लिए भेजा गया है। वैज्ञानिक इन सैंपल्स का गहन परीक्षण करेंगे, ताकि:

पानी की रासायनिक संरचना का पता लगाया जा सके।
यह निर्धारित किया जा सके कि क्या यह पानी पीने योग्य है या नहीं।
सफेद रेत की संरचना और उसके भूगर्भीय महत्व को समझा जा सके।

भविष्य की संभावनाएं

यह खोज न केवल जैसलमेर के भूजल संसाधनों को लेकर नए तथ्य उजागर कर सकती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि इस क्षेत्र में प्राचीन जल स्रोतों की उपस्थिति अभी तक पूरी तरह से अज्ञात है। विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने के बाद इस घटना के और भी रहस्यों से पर्दा उठ सकता है।

जैसलमेर में अचानक पानी का फटना

जैसलमेर, जो हमेशा से ही जल संकट से जूझता रहा है, वहां अचानक बड़ी मात्रा में पानी का बाहर आना सभी के लिए चौंकाने वाला है।

इस घटना को समझाने के लिए भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास ईणखिया ने बताया कि इस क्षेत्र की जमीन में सैंडस्टोन (घीया पत्थर) की एक 200 मीटर मोटी परत मौजूद है।

कैसे निकला पानी?

डॉ. ईणखिया के अनुसार, इस सैंडस्टोन परत के नीचे पानी दबा हुआ था, जो लाखों वर्षों से वहां मौजूद हो सकता है।(Jaisalmer News)

जब किसान ने ट्यूबवेल की खुदाई शुरू की, तो इस परत को पंक्चर कर दिया गया, जिससे पानी प्रेशर के साथ ऊपर निकलने लगा।

पानी के तेजी से बाहर आने का कारण है हाइड्रोलिक प्रेशर। यह प्रेशर तब तक रहेगा, जब तक कि पानी का स्तर नीचे की परत के संतुलन तक नहीं आ जाता। एक बार जब पानी का लेवल सामान्य हो जाएगा, तो उसकी गति धीरे-धीरे कम हो जाएगी।

जैसलमेर के जल संकट पर असर

भूगर्भीय संसाधनों का संकेत: यह घटना दर्शाती है कि जैसलमेर के नीचे भूगर्भीय जल भंडार मौजूद हैं, जो क्षेत्र के जल संकट का समाधान हो सकते हैं।

पानी का सावधानीपूर्वक उपयोग: हालांकि, इस पानी का प्रयोग बिना जांच और प्रबंधन के नहीं किया जा सकता।

भविष्य की रणनीति

यह घटना जैसलमेर जैसे सूखाग्रस्त क्षेत्र में जल संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में नई संभावनाएं खोलती है। वैज्ञानिकों और प्रशासन को इस जल स्रोत के स्थायित्व और उपयोगिता का पता लगाने के लिए गहन अध्ययन करना होगा।(Jaisalmer News)

पहले खुदाई में पानी क्यों नहीं निकला?

डॉ. नारायण दास ईणखिया ने स्पष्ट किया कि जैसलमेर के मोहनगढ़ और नाचणा क्षेत्रों में सामान्यतः सेलो सिपेज ट्यूबवेल खोदी जाती हैं, जिनकी अधिकतम गहराई 30 मीटर होती है। इन उथली खुदाइयों के कारण भूजल स्तर तक पहुंचना संभव नहीं हो पाता था।

हालांकि, इस बार 260 मीटर गहरी ट्यूबवेल खोदी गई, जिससे सैंडस्टोन की परत को भेदा गया। इस परत के नीचे दबा पानी प्रेशर के साथ बाहर निकलने लगा। पहले की खुदाई में पानी न निकलने का मुख्य कारण था, इतनी गहरी परत तक पहुंच न पाना।

क्या यह पानी सरस्वती नदी का है?

जैसलमेर क्षेत्र से होकर प्राचीनकाल में सरस्वती नदी का प्रवाह गुजरता था। डॉ. ईणखिया ने बताया कि इस क्षेत्र में सरस्वती नदी की भूगर्भीय जल रेखाएं जमीन के नीचे मौजूद हैं।

पानी की मिठास: सरस्वती नदी का पानी मीठा होता है, और यह सैंडस्टोन की परत के ऊपर दबा रहता है।

पुराना जल स्रोत: हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पानी किसी वर्तमान नदी का नहीं, बल्कि पुराना भूजल है, जो लाखों वर्षों से भूगर्भ में जमा है।

इस प्रकार, यह घटना भूगर्भीय जल स्रोतों और जैसलमेर की प्राचीन भूगर्भीय संरचना को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत देती है।

पानी का उपयोग किस कार्य में किया जा सकता है?(Jaisalmer News)

वर्तमान में, पानी के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं, और यह तय करना अभी बाकी है कि यह पीने योग्य है या नहीं। डॉ. नारायण दास ईणखिया ने बताया कि इस पानी का स्वाद खारा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि इसे सीधे पीने में दिक्कत हो सकती है।

संभावित उपयोग

कृषि कार्य: पानी को जैसलमेर के कैनाल के पानी के साथ मिलाकर खेती के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
सिंचाई: खारे पानी का उपयोग सीमित कृषि फसलों और बागवानी के लिए किया जा सकता है।
फसल परीक्षण: उपयोग से पहले इसकी गुणवत्ता और खारेपन का स्तर सुनिश्चित करना जरूरी होगा।
पानी के पीने योग्य होने की पुष्टि वैज्ञानिक परीक्षणों के बाद ही होगी।

पानी के साथ कौन सी गैस निकल रही है?

डॉ. ईणखिया के अनुसार, जैसलमेर की जमीन से गैस का निकलना सामान्य भूगर्भीय घटना है। इस घटना में पानी के साथ जो गैस निकल रही है, उसे खतरनाक नहीं माना गया है।(Jaisalmer News)

ईंधन के रूप में उपयोग: यह गैस संभावित रूप से ईंधन के रूप में उपयोगी हो सकती है।
पानी का प्रेशर बढ़ा: गैस के दबाव के कारण पानी का प्रेशर और ज्यादा बढ़ गया था।
सैंपल जांच: गैस के सैंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं, और रिपोर्ट आने के बाद इसके उपयोग और प्रकार की पुष्टि हो सकेगी।
यह घटना न केवल पानी बल्कि गैस के संभावित उपयोग को लेकर भी जैविक और भूवैज्ञानिक अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

क्या यह घटना पहले से निर्धारित थी?

जैसलमेर के जिला कलेक्टर प्रताप सिंह ने बताया कि यह घटना बिल्कुल अनियोजित थी। विक्रम सिंह, जो जीरे की फसल की बुवाई के लिए मीठे पानी की तलाश कर रहे थे, ने अपने खेत में ट्यूबवेल खोदवाने का काम शुरू किया।

इस खुदाई में सात दिन का समय लगा, और अचानक पानी का प्रचंड बहाव शुरू हो गया। इसे शुरुआत में मीठे पानी के रूप में देखा गया।

मोहनगढ़ क्षेत्र की स्थिति

ट्यूबवेल की संख्या कम: मोहनगढ़ क्षेत्र में केवल 44 ट्यूबवेल हैं, और इनमें गहरी ट्यूबवेल की संख्या बहुत कम है।
इस घटना से पहले, इतनी गहराई तक खुदाई का कार्य कम ही हुआ था।
यह घटना जैसलमेर के लिए जलवायु और भूजल विज्ञान की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।

वैज्ञानिक जांच की आवश्यकता: पानी की गुणवत्ता और उपयोगिता को लेकर अध्ययन और परीक्षण जारी हैं।
जल संकट का समाधान: यह घटना जल संकट से जूझ रहे क्षेत्र के लिए एक संभावित समाधान हो सकती है।
दीर्घकालिक उपयोग: विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर तय होगा कि इस पानी का उपयोग कृषि, पेयजल, या अन्य उद्देश्यों के लिए कैसे किया जा सकता है।

अंतिम निष्कर्ष(Jaisalmer News)

यह घटना न केवल जैसलमेर बल्कि अन्य शुष्क क्षेत्रों के भूजल और जल प्रबंधन के लिए नई दिशाएं खोल सकती है। क्षेत्रीय प्रशासन और वैज्ञानिक समुदाय इस घटना के माध्यम से स्थायी समाधान खोजने के लिए प्रयासरत हैं।

जैसलमेर के मोहनगढ़ में पानी और गैस का रहस्य, 28 दिसंबर की घटना पर वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला खुलासा

By NI Desk

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