राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

बाघों के संरक्षण के लिए सरकार का बड़ा कदम, सरिस्का में नहीं जा सकेगी प्राइवेट गाड़ियां-रोडवेज बसें

Alwar Tiger Riserve

Alwar Tiger Riserve: राजस्थान में बाघों के संरक्षण के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब जनता बाघों को देखने के लिए अपनी गाड़ियां या बसों से टाइगर रिजर्व में नहीं जा सकेंगे। यह बड़ा फैसला सरकार ने अलवर के सरिस्का टाइगर रिजर्व के लिए किया है। (Alwar Tiger Riserve)

साल 2025 में अलवर के सरिस्का टाइगर रिजर्व में प्राइवेट गाड़ियां और रोडवेज बसों का संचालन बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं पांडुपोल के मंदिर में बनने वाले खाने पर भी रोक लग जाएगी।

सरिस्का में बाघों के संरक्षण और उनके आवास को सुरक्षित करने के लिए सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिपोर्ट पेश की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी है।

सीईसी ने अपनी रिपोर्ट में 31 मार्च 2025 के बाद सरिस्का में सभी प्रकार के निजी वाहनों को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की थी, जिसे अब स्वीकार कर लिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट में 22 जुलाई को पेश की गई अपनी रिपोर्ट में सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने माना था कि सरिस्का टाइगर रिजर्व के 22 किलोमीटर अंदर स्थित पांडुपोल हनुमान मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और वहां पहुंचने के लिए निजी वाहनों का उपयोग करते हैं। गाड़ियों के आने के कारण टाइगर हैबिटेट्स मैनेजमेंट पर विपरीत असर पड़ रहा है।(Alwar Tiger Riserve)

सीईसी ने सिफारिश की थी कि मंदिर जाने के लिए निजी वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक शटल बसों की सुविधा शुरू की जाए। इसके अलावा, अन्य विकल्पों जैसे एलिवेटेड रोड, ट्रम-वे, टनल, रोप-वे, और स्काई-वे को भी तलाशा जाए।

मेले में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन करें

सीईसी ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि हर साल सरिस्का में लगने वाले मेले के दौरान राजस्थान रोडवेज इलेक्ट्रिक बसों का संचालन सुनिश्चित करे। 31 मार्च 2025 के बाद यहां रोडवेज की सामान्य बसों का प्रवेश बंद हो जाएगा।

इसके अलावा, पांडुपोल हनुमान मंदिर में बनने वाले भोजन को प्रतिबंधित करने और केवल बाहर से लाए गए भोग और प्रसाद को अनुमति देने की सिफारिश की गई है। साथ ही, मंदिर ट्रस्ट को उचित कचरा प्रबंधन करने के लिए भी कहा गया है।

गौरतलब है कि सरिस्का के मुख्य गेट से पांडुपोल मंदिर 18 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां हर साल भादो महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन मेला लगता है, जिसमें दूरदराज से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की तैनाती

सीईसी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि सरिस्का टाइगर रिजर्व के आसपास मौजूद गांवों में बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मानव-पशु संघर्ष और अवैध शिकार की संभावना बनी हुई है। ऐसे में 31 दिसंबर 2025 तक सरिस्का में स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स (एसटीपीएफ) की तैनाती की जाए।

बफर जोन में अनाधिकृत रूप से हो रहे निर्माणों को तुरंत प्रभाव से रोका जाए। इसके साथ ही पहले से बने होटल, रिसोर्ट और रेस्टोरेंट को एनबीडब्ल्यूएल और एनटीसीए से अनुमति प्राप्त होनी चाहिए, और इसकी पालना कड़ाई से कराई जाए।

सरिस्का टाइगर रिजर्व में अभी 43 बाघ

सरिस्का टाइगर रिजर्व में दो महीने पहले बाघिन ST-17 ने तीन शावकों को जन्म दिया। इसके बाद सरिस्का में कुल बाघों की संख्या 43 हो चुकी है। 19 साल पहले सरिस्का बिना बाघों के हो गया था। करीब तीन साल बाद, 2008 में, बिना बाघों के रहने के बाद यहाँ रणथंभौर से ST-1 को लाया गया था।

ST-1 के बाद 2022 तक कुल 11 बाघों को शिफ्ट किया गया, जिनमें ST-1 से ST-6 तक, ST-9, ST-10, ST-16, ST-29, और ST-30 शामिल हैं। सरिस्का टाइगर रिजर्व को 1978-79 में घोषित किया गया था, जिसमें जंगल का क्षेत्रफल 882 वर्ग किलोमीटर है। उस समय यहाँ बाघों की संख्या करीब 40 से 44 थी, जो धीरे-धीरे घटती गई।

मई 2004 में सरिस्का में टाइगर की गणना की गई तो केवल 6 से 7 टाइगर बताए गए। जब इसकी जांच की गई, तो पाया गया कि टाइगर के अंगों की तस्करी हुई है और इनके अंग चीन-ताइवान तक बेचे गए थे। सरिस्का में टाइगर का शिकार करने वाले आरोपी संसारचंद्र को गिरफ्तार किया गया था।

also read: VINESH PHOGAT : और कहानी खत्म हुई भी तो ऐसे लोग रोने लगे तालियां बजाते हुए…

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें