KIRORILAAL RESIGN: डबल इंजन की सरकार ने 10 जुलाई बुधवार को बजट पेश किया है लेकिन बीजेपी सरकार के मंत्रिमंडल में उथल-पुथल जारी है. कुछ समय पहले ही राजस्थान सरकार में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने इस्तीफा दिया था. मंत्री किरोड़ी लाल मीणा को अपना इस्तीफा दिए हुए लगभग 35 दिन का समय हो गया है लेकिन अभीतक आगे का कुछ भी कही नहीं जा सकता. बीजेपी के आलाअधिकारियों ने ना तो इस इस्तीफे को स्वीकार किया है ना ही इस पर आगे की स्थिति स्पष्ठ की है. बात करें मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की तो पिछले एक महीने से मीणा न तो सचिवालय जा रहे हैं और न ही विधानसभा जा रहे है. इस इस्तीफे पर दिल्ली से लेकर राजधानी जयपुर तक माथापच्ची जारी है. 35 दिन बीत जाने के बाद भी भजनलाल सरकार ने मीणा का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है. इतना ही नहीं, मीणा ने इस्तीफा वापस लेने से भी इनकार कर दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भजनलाल की सरकार मीणा का इस्तीफा स्वीकार क्यों नहीं कर रही है?
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किरोड़ी लाल मीणा का बयान…
पत्रकारों से बात करते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने कहा था कि लोकसभा चुनाव परिणाम आने के अगले ही दिन यानी 5 जून को ही मैंने इस्तीफा दे दिया था. इसके 20 दिन बाद मैं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मिला भी, लेकिन उन्होंने इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार कर दिया. किरोड़ी लाल के मुताबिक मुख्यमंत्री से इस्तीफा स्वीकार नहीं किए जाने के बाद मैंने ई-मेल के जरिए 25 जून को इस्तीफा भेजा. किरोड़ी ने इस्तीफा क्यों दिया, सियासी गलियारों में इसके 2 कारण बताए जा रहे हैं, जिसमें एक आधिकारिक है तो दूसरा अनाधिकारिक. पहला आधिकारिक कारण यह है कि किरोड़ी लाल के मुताबिक लोकसभा चुनाव में उन्होंने दौसा, टोंक समेत 7 सीटों पर चुनाव जिताने का जिम्मा लिया था, लेकिन यहां की सिर्फ 3 सीटों पर ही बीजेपी जीत पाई. किरोड़ी के गढ़ दौसा में बीजेपी बुरी तरह हारी. इसी की जिम्मेदारी लेते हुए मीणा ने इस्तीफा दिया है. उन्होंने इसकी घोषणा चुनाव से पहले ही की थी. किरोड़ी के इस्तीफे का दूसरा अनाधिकारिक एंगल यह भी है कि इसके मुताबिक विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि उन्हें सीएम या डिप्टी सीएम का पद मिलेगा, लेकिन किरोड़ी को सिर्फ कैबिनेट मंत्री का दर्जा भर दिया गया. विभाग भी कृषि जैसे दिए गए, जो राजस्थान में टॉप विभाग में शामिल नहीं हैं.
5 सीटों पर उपचुनाव में 2 मीणा बाहुल्य सीट
लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा की 5 सीटें रिक्त हुई है, जहां कुछ महीने बाद उपचुनाव कराए जाएंगे. जिन सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित है, उनमें दौसा, झुंझुनू, चौरासी, खींवसर और देवली-उनियारा शामिल हैं. इनमें से 2 सीट दौसा और देवली-उनियारा मीणा बाहुल्य है. किरोड़ी लाल मीणा का इन दोनों ही सीटों पर प्रभाव है. लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद बीजेपी की कोशिश उपचुनाव के जरिए वापसी करने की है. ऐसे में उपचुनाव से पहले बीजेपी सरकार मीणा का इस्तीफा स्वीकार कर यहां कांग्रेस को वॉकओवर नहीं देना चाहती है. यही वजह है कि दिल्ली से लेकर जयपुर तक किरोड़ी लाल मीणा की मान-मनौव्वल जारी है. राजस्थान में किरोड़ी लाल मीणा को मुखर राजनेता माना जाता है. हाल ही में सरकार में रहने के दौरान उन्होंने विभाग से जुड़े 2 चिट्ठी लिखकर सरकार में हड़कंप मचा दिया था. कहा जा रहा है कि अगर उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है तो आने वाले दिनों में भजनलाल सरकार की और किरकिरी करा सकते हैं. राजनीतिक तौर पर भी मीणा काफी मजबूत हैं. 2013 में जब वे नई पार्टी से चुनाव लड़े थे, तो उनकी पार्टी को राजस्थान की 4 सीटों पर जीत मिली थी. 2013 के चुनाव में मीणा की पार्टी को 13 लाख से ज्यादा मत मिले थे. करीब 100 सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों को 5 हजार से लेकर 65 हजार तक वोट मिले थे.
सरकार के पास कोई भी मजबूत चेहरा नहीं
यह पहली बार है, जब राजस्थान की बीजेपी सरकार में कोई मजबूत चेहरा नहीं है. इससे पहले पिछली बार जब वसुंधरा राजे सीएम थी तो गुलाब चंद कटारिया, राजेंद्र राठौड़ जैसे दिग्गज नेता बीजेपी में सरकार के संकटमोचन थे. लेकिन अब बात करें वर्तमान की तो बीजेपी सरकार में डॉ किरोड़ीलाल मीणा को छोड़कर कोई भी नेता फायरब्रांड नहीं है. दूसरी तरफ कांग्रेस में अशोक गहलोत, सचिन पायलट, हरीश चौधरी, गोविंद डोटासरा, शांति धारीवाल जैसे दिग्गज नेता सदन में हैं. ऐसे में किरोड़ी अगर सरकार से बाहर हो जाते हैं तो आने वाले वक्त में कई मुद्दों पर सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.