PM Narendra Modi : मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करने के लिए नियुक्ति समिति की बैठक सोमवार को हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी शामिल हुए।
हालांकि राहुल ने बैठक का विरोध किया और कहा कि चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
इसलिए अभी उस कानून के आधार पर बनी नियुक्ति समिति की बैठक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अपनी आपत्ति लिखित रूप में दर्ज कराई। हालांकि कमेटी ने उनकी आपत्तियों को खारिज कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मुख्य चुनाव आयुक्त का नाम तय करने के लिए बैठक हुई। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी शामिल हुए। (PM Narendra Modi)
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ज्ञानेश कुमार अगले मुख्य चुनाव आयुक्त
गौरतलब है कि मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार का कार्यकाल मंगलवार, 18 फरवरी को खत्म हो रहा है। (PM Narendra Modi
उम्मीद की जा रही है कि राजीव कुमार के बाद सबसे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को अगला मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो फिर तीसरे चुनाव आयुक्त का चयन करना होगा।
बताया जा रहा है कि बैठक में राहुल गांधी ने लिखित आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है इसलिए यह बैठक नहीं होनी चाहिए थी।
बाद में कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि चयन समिति सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है। (PM Narendra Modi
उन्होंने कहा, ‘चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए गठित समिति से चीफ जस्टिस को हटाकर सरकार ने साफ कर दिया है कि वह चुनाव आयोग की विश्वसनीयता नहीं, बल्कि नियंत्रण चाहती है’।
मामले की सुनवाई 12 फरवरी को (PM Narendra Modi)
सिंघवी ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए नए कानून को चुनौती देने वाला मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में पेडिंग है।
इस मामले में 19 फरवरी को सुनवाई है। उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ 48 घंटे का मामला था। सरकार को याचिका की शीघ्र सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए था’।
गौरतलब है कि चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। (PM Narendra Modi)
मामले की सुनवाई 12 फरवरी को होनी थी, लेकिन उस दिन केस सूचीबद्ध नहीं हो पाया था। उस समय प्रशांत भूषण ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटीश्वर सिंह की बेंच के सामने यह मामला उठाया था, जिसके बाद कोर्ट ने 19 फरवरी की तारीख तय की थी और कहा था कि इस बीच कुछ होता है तो वह अदालत के फैसले के अधीन होगा, इसलिए चिंता की बात नहीं है।