चंडीगढ़। अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर रहे किसानों को रोकने के लिए सरकार की ओर से की गई तैयारियों पर अदालत ने सवाल उठाए हैं। पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में दिखाया जा रहा है कि सरकार ने सड़कों पर लोहे की कीलें बिछाई हैं, यह लोगों के मुक्त आवाजाही के अधिकार को रोकने वाला है। अदालत ने यह भी कहा कि बोलने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार पर सेंसरशिप नहीं हो सकती है। गौरतलब है कि किसानों के दिल्ली चलो मार्च को प्रशासन ने कई जगहों पर रोक दिया है। इस मामले में हाई कोर्ट ने भी दखल दिया है।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि कानून व्यवस्था बनाए रखी जाए। सभी मुद्दों का सौहार्दपूर्ण ढंग से हल निकले। सभी पक्षों को बैठकर मामले का समाधान निकालना चाहिए और बल का इस्तेमाल आखिरी उपाय हो। मंगलवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि बोलने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार में संतुलन होना चाहिए। अदालत ने केंद्र की दलीलों पर गौर किया कि बैठकें हो रही हैं।
अदालत ने कहा कि सरकार ने किसानों को रोका है। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक सड़कों पर कीलें और बिजली के तार लगे हैं। ये देश भर में फ्री आवाजाही के अधिकार का हनन है। इस मामले में हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने विरोध करने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में सहायता करने के अधिकार को बरकरार रखा है। सरकार ने सड़कें बंद करके मौलिक अधिकारों का हनन किया है। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में अगली सुनवाई गुरुवार यानी 15 फरवरी को होगी।