भुवनेश्वर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) जगन्नाथ रथ यात्रा को लेकर ओडिशा दौरे पर हैं। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने भुवनेश्वर में उदयगिरी पहाड़ी (Udayagiri Hill) स्थित जैन गुफाओं के समूह का भ्रमण किया। राष्ट्रपति ने कहा कि इस दौरान उन्होंने भारतीय संस्कृति और विरासत का अनुभव किया। मुर्मू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा ओडिशा के भुवनेश्वर में उदयगिरि पहाड़ी पर स्थित जैन गुफाएं प्रारंभिक भारतीय रॉक-कट वास्तुकला के दुर्लभ नमूने हैं। गुफाएं पहली शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर लगभग 1200 वर्षों की सभ्यता और सांस्कृतिक कड़ी को प्रदर्शित करती हैं। जैन धर्म के अनुयायी बने महान राजा खारवेल (King Kharavela) से जुड़ी ये गुफाएं हमारी अनमोल विरासत हैं।
अहिंसा और तपस्या जैसे जैन धर्म के आदर्श हमारी सहस्राब्दी पुरानी लेकिन जीवंत संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। श्री जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा में हिस्सा लेने के अगले दिन राष्ट्रपति मुर्मू ने ओडिशा के पुरी समुद्र तट पर भ्रमण किया। उन्होंने कहा कि समुद्र तल के करीब आना और उसका अनुभव करना हमें जीवन का सार समझाती है। यह हमें याद दिलाती है कि हम प्रकृति के हिस्सा हैं। उन्होंने मानव जाति के लिए प्रकृति की अहमियत बताई और साथ ही ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) से सतर्क रहने की चेतावनी भी दी। उन्होंने बताया कि आज के समय में प्रकृति का दोहन हो रहा है जिससे बचाने के लिए हम सभी को एकजुट होना पड़ेगा और प्रकृति के बचाव के लिए सरकारी मुहिम को मिलकर धरातल पर लाना होगा।
इससे पहले राष्ट्रपति मुर्मू ने लिखा था मेरा मानना है कि पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण की चुनौती का सामना करने के दो तरीके हैं; व्यापक कदम जो सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की ओर से उठाए जा सकते हैं, और छोटे, स्थानीय कदम जो हम नागरिकों के रूप में उठा सकते हैं। बेशक, ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। आइए हम बेहतर कल के लिए व्यक्तिगत रूप से, स्थानीय स्तर पर जो कुछ भी कर सकते हैं, उसे करने का संकल्प लें।
यह भी पढ़ें:
झारखंड में हेमंत कैबिनेट में चंपई सोरेन सहित 11 मंत्रियों ने ली शपथ