इम्फाल। पिछले 10 महीने से मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा का कारण बने आदेश को खुद मणिपुर हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। मणिपुर हाई कोर्ट ने मैती समुदाय को अनुसूचित जनजाति यानी एसटी सूची में शामिल करने पर विचार करने के आदेश को रद्द कर दिया है। जस्टिस गोलमेई गैफुलशिलु की बेंच ने पुराने आदेश के एक विवादित पैराग्राफ को हटाते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के रुख के खिलाफ था। गौरतलब है कि हाई कोर्ट के इस आदेश की वजह से ही राज्य में हिंसा शुरू हुई थी, जिसमें दो सौ के करीब लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
असल में 27 मार्च 2023 को हाई कोर्ट ने मैती समुदाय को एसटी सूची में शामिल करने पर विचार का निर्देश दिया था। इसके बाद से ही राज्य में माहौल तनावपूर्ण हो गया था। बाद में तीन मई 2023 से कुकी और मैती समुदायों में हिंसक लड़ाई शुरू हो गई, जो अभी तक चल रही है। हिंसा में अब तक दो सौ के करीब लोगों की जान जा चुकी है। मैती समुदाय को एसटी का दर्जा दिए जाने के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ पिछले दिनों पुनर्विचार याचिका लगाई गई थी, जिस पर 21 फरवरी को सुनवाई हुई।
याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक किसी जनजाति को एसटी सूची में शामिल करने के लिए न्यायिक निर्देश जारी नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह एकमात्र राष्ट्रपति का विशेषाधिकार है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मणिपुर हाई कोर्ट ने 27 मार्च 2023 को हाई कोर्ट की ओर से दिए गए निर्देश के पैराग्राफ को आदेश से हटाने का निर्देश दिया। हालांकि इस फैसले से 53 फीसदी यानी बहुसंख्यक मैती समुदाय के भड़कने का खतरा है।