manipur president rule : मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के चार दिन के बाद केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया है।
गुरुवार, 13 फरवरी संसद के बजट सत्र के पहले चरण की कार्यवाही 10 मार्च तक स्थगित होने के बाद शाम को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की अधिसूचना जारी हुई।
इससे चार दिन पहले नौ फरवरी को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपना इस्तीफा राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को सौंपा था। (manipur president rule)
उसके बाद से राज्य में सरकार गठन की संभावना तलाशी जा रही थी। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति नहीं बनने की वजह से राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला हुआ।
नौ फरवरी के बाद से पूर्वोत्तर में भाजपा के समन्वयक और लोकसभा सांसद संबित पात्रा ने विधायकों से बैठक की और दो बार राज्यपाल से भी मिले।
एन बीरेन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले स्पीकर टी सत्यब्रत सिंह से लेकर राज्य के जल संसाधन मंत्री वाई खेमचंद्र सिंह और प्रदेश अध्यक्ष शारदा देवी तक के नाम की चर्चा थी। (manipur president rule)
टी बिस्वजीत सिंह भी रेस में बताए जा रहे थे। शारदा देवी और बिस्वजीत सिंह को बीरेन सिंह की पसंद बताया जा रहा था। लेकिन किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाई।
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राष्ट्रपति शासन थोड़े समय के लिए (manipur president rule)
बहरहाल, जानकार सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति शासन थोड़े समय के लिए लगाया गया है और पार्टी की ओर से नए सिरे से मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा।
राज्य में 2026 के मार्च में विधानसभा चुनाव होंगे। गौरतलब है कि मणिपुर में मई 2023 से जातीय हिंसा हो रही है।
कुकी और मैती समुदायों के बीच चल रही इस हिंसा में अब तक तीन सौ से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों की संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं। (manipur president rule)
विपक्षी पार्टियां लगातार राज्य में शांति बहाली की मांग कर रही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य का दौरा करने की अपील कर रही हैं।
भाजपा के सामने एक मुश्किल यह भी है कि बीरेन सिंह कुछ ऑडियो क्लिप्स को लेकर भी संकट में घिरे हैं। इनमें वे कथित तौर पर कह रहे हैं कि उन्होंने बहुसंख्यक मैती समुदाय के लोगों को हिंसा फैलाने की अनुमति दी और उनका बचाव किया।
तीन फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई (manipur president rule)
तीन फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर सुनवाई हुई। कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट की तरफ से कोर्ट में याचिका दाखिल करके ऑडियो क्लिप्स की जांच की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने कहा- जो टेप सामने आए हैं, वे बहुत गंभीर हैं। इस पर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने मणिपुर सरकार से कहा कि सुनिश्चित करिए कि ये एक और मुद्दा न बने। (manipur president rule)
इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब से सीलबंद लिफाफे में छह हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है। दूसरी ओर कूकी समुदाय की संस्था आईटीएलएफ उनकी मांग अलग प्रशासन की है। वे राज्य में हुई हिंसा पर बीरेन सिंह के माफी मांगने से संतुष्ट नहीं हैं।