लगातार दूसरी बार लोकसभा के अध्यक्ष के पद पर आसीन होकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करने वाले ओम बिरला अपनी वाकपटुता और सौम्यता के साथ-साथ प्रशासनिक दृढ़ता के लिये जाने जाते हैं।
अपने युवा जीवन से ही राजनीतिक यात्रा की शुरुआत करने वाले 61 वर्षीय बिरला राजस्थान की कोटा-बूंदी लोक सभा सीट से लगातार तीन बार निर्वाचित हुये हैं।
इससे पहले वह राजस्थान विधानसभा में तीन बार कोटा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। और बिरला ऐसे पांचवे जनप्रतिनिधि हैं, जिन्हें लगातार दो बार लोकसभा अध्यक्ष का पद सुशोभित करने का अवसर मिला है।
इससे पहले एम ए अयंगार पहली लोकसभा में जी वी मावलंकर के निधन के बाद आठ मार्च 1956 को अध्यक्ष चुने गये और दूसरी लोकसभा के गठन के बाद 16 अप्रैल 1962 को अध्यक्ष निर्वाचित हुये थे।
गुरदयाल सिंह ढिल्लों को आठ अगस्त 1969 को नीलम संजीव रेड्डी के इस्तीफे के बाद चौथी लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया। और इसके बाद वह 22 मार्च 1971 को फिर पांचवी लोकसभा का अध्यक्ष चुने गये।
इसके बाद दो बार अध्यक्ष पद का कार्यभार संभालने का मौका कांग्रेस के बलराम जाखड़ को मिला। पहली बार वह 22 जनवरी 1980 को और दूसरी बार 16 जनवरी 1985 को अध्यक्ष चुने गये।
तेलुगू देशम पार्टी के जीएमसी बालयोगी 1998 से 2002 के बीच दो बार इस पद के लिये चुने गये। दिवंगत श्रीकृष्ण बिरला और दिवंगत शकुंतला देवी की पांचवी संतान बिरला ने मास्टर ऑफ कामर्स की डिग्री ली है।
बिरला ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कोटा, भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष से 1987 में की थी। और वह 1991 में राजस्थान भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बनाये गये तथा वह 1997 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने।
कोटा दक्षिण विधान सभा सीट से विधायक 2008 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कद्दावर मंत्री राम किशन वर्मा को 24252 वोट से हराया।
बिरला ने वर्ष 2003 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मंत्री राम किशन वर्मा को हराकर विधायक निर्वाचित हुये। और वह 2013 में कोटा दक्षिण विधानसभा सीट से फिर विधायक निर्वाचित हुये।
वह वर्ष 2014 में कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से कांग्रेस के इज्यराज सिंह को पराजित कर सांसद निर्वाचित हुये। और वर्ष 2019 में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं विधायक राम नारायण मीणा को दो लाख 782 मतों से पराजित कर पुन: सांसद निर्वाचित हुये।
बिरला 19 जून 2019 को सर्वसम्मति से सत्रहवीं लोकसभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुये। और उन्होंने अपने कार्यकाल में देर रात तक सदन की कार्यवाही चलाकर लोकसभा के कामकाज के कई कीर्तिमान स्थापित किये। उन्होंने पहली बार सांसद चुनकर आये सदस्यों को सदन में अपनी बात कहने का भरपूर मौका दिया।
सत्रहवीं लोक सभा की उत्पादकता 97 रही, जो पिछले 25 वर्षों में सर्वाधिक है। कोरोना महामारी के बीच आयोजित 17वीं लोक सभा के चौथे सत्र की उत्पादकता 167 प्रतिशत रही, जो लोक सभा के इतिहास में सर्वाधिक है। संसद के संचालन में वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित कर 801 करोड़ रुपये की बचत की गयी।
सत्रहवीं लोक सभा के दौरान 222 विधेयक कानून बने, जो पिछली तीन लोक सभा में सर्वाधिक हैं। सत्रहवीं लोक सभा के दौरान विधेयकों पर कुल 440.54 घंटे चर्चा हुई, जो पिछली चार लोक सभा में सर्वाधिक है।
इस दौरान विभिन्न विधेयकों पर कुल 2910 सदस्यों ने चर्चा की जो पिछली चार लोक सभा में सर्वाधिक है। ज्ञान के समृद्ध कोष संसद की लाइब्रेरी को दिनांक 17 अगस्त 2022 से आमजन के लिये खोल दिया गया।
बिरला के कार्यकाल के दौरान पी-20 का आयोजन हुआ। श्री बिरला की अध्यक्षता में जी-20 देशों की संसदों का पी-20 सम्मेलन 13 और 14 अक्टूबर को नयी दिल्ली स्थित यशोभूमि परिसर में आयोजित किया गया।
एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के लिये संसदें, विषय पर आयोजित पी-20 सम्मेलन अब तक सबसे सफल पी-20 आयोजन रहा। और सम्मेलन में 23 देशों/समूहों से 34 अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष सम्मिलित हुये। उनके मार्गदर्शन में संयुक्त वक्तव्य पर आम सहमति बनना सम्मेलन की गौरवशाली उपलब्धि रही।
बिरला को 26 जून 2024 को पुन: लोकसभा अध्यक्ष निर्वाचित किया। विपक्ष ने कांग्रेस सदस्य के सुरेश को लोकसभा अध्यक्ष के लिये अपना उम्मीदवार बनाया था। सदन में ध्वनिमत से पारित प्रस्ताव में बिरला अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किये गये।
इससे पहले वर्ष 1952 में पहली लोकसभा और 1976 में पांचवी लोकसभा में भी लोकसभा अध्यक्ष के पद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति नहीं बनने के कारण चुनाव हुआ था।
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