भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में 15 हजार से ज्यादा सरकारी चिकित्सकों (Government Doctor) के हड़ताल (Strike) पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवाएं गड़बड़ा गई हैं। हाल यह है कि मरीजों के ऑपरेशन टालने पड़े हैं और कई मरीजों को निजी अस्पतालों में भी भेजना पड़ रहा है। वहीं आयुष चिकित्सकों (Ayush Practitioner) की भी सेवाएं लेनी पड़ रही है। राज्य के चिकित्सक अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बुधवार से बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं। राज्य की सरकार ने चिकित्सकों की हड़ताल टालने के मंगलवार की रात तक हर संभव प्रयास किए मगर चिकित्सक अपनी मांगों को पूरा कराए जाने की बात पर अड़े रहे। चिकित्सकों की मांग है उन्हें केंद्र सहित अन्य राज्यों के चिकित्सकों की तरह डीएसीपी योजना (DACP Scheme) का लाभ मिले साथ ही स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग और ईएसआई की वर्षों से लंबित विभागीय विसंगतियों को दूर किया जाए।
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चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप दूर किया जाए, साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा शिक्षकों की एमपीपीएससी के माध्यम से की जाने वाली नियुक्ति में चयन प्रक्रिया में प्रतिशत परिधि को समाप्त करने का संशोधन किया जाए।चिकित्सकों की अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले जाने से राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों के अधीन चिकित्सालयों के अलावा जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह डगमगा गई है। भोपाल में कई मरीजों के ऑपरेशन तक निरस्त करने पड़े हैं और कई मरीजों को निजी अस्पतालों में स्थानांतरित करना पड़ा, इतना ही नहीं इंदौर के सरकारी अस्पतालों में तो आयुष चिकित्सकों के साथ निजी अस्पताल के चिकित्सकों की तैनाती करना पड़ी है। कुल मिलाकर हर अस्पताल में मरीजों की भीड़ लगी है और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।
इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने मंगलवार की रात को अधिकारियों के साथ बैठक की जिसमें कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं अति आवश्यक सेवाओं के अंतर्गत हैं। इसमें अवरोध न आए। आकस्मिक एवं गंभीर सेवाओं का संचालन सुचारु रूप से हो, इसमें कोई कसर नहीं छोड़ें। स्ट्राइक पर जाना अनैतिक है, इसमें कार्यवाही का प्रावधान है। मेडिकल कॉलेज (Medical College) और अस्पतालों में आवश्यक व्यवस्थाएं बनाएं और पीजी चिकित्सकों की सेवाएं लें। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जिला अस्पताल, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर निर्बाध स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से चलें। इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाएं।
कलेक्टर्स- कमिश्नर और मेडिकल कॉलेज के डीन इलाज सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएँ करें। गंभीर मरीजों के इलाज में व्यवधान न हो। चिकित्सकों की पर्याप्त व्यवस्था बनी रहे। निजी नसिर्ंग होम (Private Nursing Home) में भी सतत संवाद बना कर रखें। पर्याप्त मात्रा में एंबुलेंस की व्यवस्था सतत बनी रहे। आयुष्मान योजना में प्राइवेट अस्पताल में इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि इंसान की जान बचाने के लिए डॉक्टर्स ही भगवान का रूप माने जाते हैं। इंसान की जिंदगी से खिलवाड़ न करें। हर जगह व्यवस्था कर लें। मरीजों को चिन्हित कर शिफ्ट करने की कार्यवाही हो। स्वास्थ्य सेवाएं किसी भी स्थिति में प्रभावित न हों। मरीजों को इमरजेंसी में कोई परेशानी नहीं होना चाहिए। (आईएएनएस)