नई दिल्ली। इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम (EVM) के हैक होने के आरोप लगाने और उसका डेमो करने के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह गुरुवार को प्रदर्शन करने दिल्ली पहुंचे। दिग्विजय सिंह के साथ कुछ राजनीतिक और सिविल सोसायटी के लोग भी थे लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें जंतर मंतर (Jantar Mantar) पर प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी। बिना अनुमति के प्रदर्शन करने की वजह से पुलिस ने दिग्विजय सिंह को हिरासत में ले लिया।
दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के अपने अकाउंट पर लिखा- मुझे दो हफ्ते पहले ईवीएम हटाओ मोर्चा की ओर से 22 फरवरी को शांतिपूर्ण धरना देने का निमंत्रण प्राप्त हुआ था। धरना ईवीएम से देश में लोकसभा चुनाव न कराने के मुद्दे को लेकर था। इसे मैंने स्वीकार किया था। दो दिन पहले शांति पूर्ण धरने की स्वीकृति भी निरस्त कर दी गई। उन्होंने आगे लिखा- इस बार पूरे देश से हजारों लोग धरने में शामिल होने आ रहे थे, इसलिए स्वीकृति निरस्त कर दी गई। क्या कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार इतना घबरा रही है?
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने लिखा- अब ईवीएम हटाओ, लोकतंत्र बचाओ आंदोलन देश के गांव गांव में पहुंच रहा है। सुप्रीम कोर्ट को इसका संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने कहा- ईवीएम का मुद्दा 2018 से चला आ रहा है। एआईसीसी के सर्वसम्मति से पारित राजनीतिक प्रस्ताव में यह उल्लेख था कि लोगों को ईवीएम को लेकर शंका है, इसलिए चुनाव बैलेट पेपर से होना चाहिए। इसे लेकर कोई भी सवाल पूछने पर चुनाव आयोग कोई जवाब नहीं देता है। हमें चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है।
दिग्विजय सिंह ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा- लोकतंत्र में जनता से बढ़कर कोई नहीं होता है। हम जनता के साथ मिलकर लड़ाई लड़ेंगे। बीईएस कंपनी ईवीएम बनाती है, उसके चार डायरेक्टर्स भाजपा नेता हैं। मांगने पर हमें टेक्निकल कमेटी के मेंबर की रिपोर्ट नहीं दिखाई जाती है। कमेटी के सदस्य कौन होंगे? प्रधानमंत्री या उनका मनोनीत कोई मंत्री होगा। जो वो कहें, सो ठीक।