भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और कांग्रेस (Congress) लगातार जमीनी जमावट करने में जुटी हुई है, इसके लिए वह बदलाव भी कर रही है और नए लोगों को जिम्मेदारी सौंपने का दौर भी जारी रखे हुए है। आगामी समय में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के लिए कांग्रेस तमाम दांव पेंच आजमाने में पीछे नहीं रहना चाहती। एक तरफ जहां उसकी नजर भाजपा के असंतुष्ट नेताओं पर है तो वहीं पार्टी के नेताओं को सक्रिय करने की हर संभव कोशिश हो रही है। बीते कुछ समय में पार्टी की तरफ से उठाए गए कदमों पर गौर करें तो एक बात साफ नजर आती है कि चुनाव जीतने के लिए सभी तरह के सियासी बाण पार्टी ने अपने तरकश में रख लिए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) की विधानसभा के उन 66 सीटों पर सक्रियता बढ़ी हुई है, जहां कांग्रेस को लंबे अरसे से हार का सामना करना पड़ रहा है।
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इतना ही नहीं पार्टी के 16 प्रमुख नेताओं को राज्य के अलग-अलग इलाकों की जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। एक तरफ जहां राज्य के नेताओं के बेहतर उपयोग की कोशिश में प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ (Kamal Nath) जुटे हैं और खुद भी अलग-अलग स्थानों पर पहुंचकर कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे हैं और जनता के बीच जाकर अपनी बात पूरी ताकत से कह रहे हैं। दूसरी ओर राज्य के प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल (Jaiprakash Agarwal) ने भी राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा नियुक्त किए गए सचिवों के लिए भी अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी है। इन राष्ट्रीय सचिव में बदलाव भी किया गया है।
पिछले चुनाव के दौरान बुंदेलखंड इलाके में पूरी ताकत झोंक देने वाले राष्ट्रीय सचिव डॉ सुधांशु त्रिपाठी को कार्य से मुक्त कर नई नियुक्ति की है। इस बदलाव को जमीनी स्तर पर पार्टी के नेता पार्टी के हित में नहीं मान रहे हैं, क्योंकि त्रिपाठी वर्तमान में ग्वालियर-चंबल इलाके में लगातार सक्रिय थे। कांग्रेस के सूत्रों की माने तो कांग्रेस में सीधे तौर पर तो गुटबाजी नजर नहीं है मगर तमाम बड़े नेता अपने हिसाब से जमावट करने में लगे हैं। यह नेता जमीनी स्थिति का ज्यादा आंकलन नहीं कर रहे और जिम्मेदारी सौंपे जा रहे हैं, जिसके चलते पार्टी को नुकसान होने की आशंका भी बनी हुई है। (आईएएनएस)