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झारखंड के विश्वविद्यालयों में आधी हुईं छुट्टियां, विरोध पर उतरे शिक्षक

रांची। झारखंड (Jharkhand) के सरकारी विश्वविद्यालयों (Government Universities) में गर्मी छुट्टियों में कटौती और वार्षिक छुट्टियों के नए कैलेंडर पर शिक्षकों को सख्त ऐतराज है। छुट्टियों का नया कैलेंडर झारखंड के राज्यपाल, जो कि विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं, की पहल पर आगामी एक जून से लागू किया जा रहा है। नए कैलेंडर के मुताबिक सालाना 87 की जगह अब 43 छुट्टियां होंगी। अलग-अलग विश्वविद्यालयों में शिक्षकों ने छुट्टियों की कटौती के विरोध में बैठक कर, धरना देकर और विश्वविद्यालय प्रशासन को ज्ञापन देकर विरोध जताया है। राज्य के विश्वविद्यालयों में गर्मी की छुट्टी 27 दिन से एक महीने के बीच होती थी, लेकिन अब नए कैलेंडर के अनुसार 20 दिन छुट्टी मिलेगी। इसी प्रकार अन्य छुटिट्यों में भी कटौती की गई है। इसके अलावा अनेक पर्व-त्योहारों पर भी छुट्टियों के दिन घटाए गए हैं।

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राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) के निर्देश पर उनके ओएसडी (OSD) के मुकुलेशन नारायण (Mukuleshan Narayan) ने आरयू के वीसी प्रो. अजीत कुमार सिन्हा (Ajit Kumar Sinha), डीएसपीएमय के वीसी प्रो. तपन कुमार शांडिल्य (Tapan Kumar Shandilya) समेत अन्य विवि अधिकारियों के साथ अवकाश को लेकर बैठक की थी। इसमें सभी विश्वविद्यालयों के अवकाश में समानता लाने और छुट्टियों के दिन कम करने पर सहमति बनी थी। रांची विश्वविद्यालय के शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने इस नए कैलेंडर की व्यवस्था पर विरोध जताते हुए वाइस चांसलर अजीत कुमार सिन्हा से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। रांची स्थित डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी (Shyama Prasad Mukherjee University) के शिक्षकों ने भी इस मुद्दे पर बैठक की।

शिक्षकों का कहना है कि यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार विश्वविद्यालयों में 180 दिन पढ़ाई होनी चाहिए। अब तक जो व्यवस्था लागू है, उसमें 225 दिनों की पढ़ाई का कैलेंडर लागू है। इसके बाद भी छुट्टियों में कटौती की नई व्यवस्था कतई उचित नहीं है। शिक्षकों का यह भी कहना है कि पूर्वनिर्धारित गर्मी छुट्टियों के हिसाब से कई शिक्षकों ने देश-विदेश के भ्रमण के लिए प्लान पहले से बना रखा है। अचानक से नई व्यवस्था आ जाने से उनके सामने विकट स्थिति पैदा हो गई है। शिक्षकों का कहना है कि छुट्टियां घटाने से उनके रिसर्च, सेल्फ स्टडी और अन्य शिक्षकेतर गतिविधियां प्रभावित होंगी और इससे अंतत: शैक्षणिक व्यवस्था प्रभावित होगी। (आईएएनएस)

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By NI Desk

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