नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के जाने माने पत्रकार और फोटोग्राफर रोशनलाल शर्मा का निधन हो गया है। वे 82 साल के थे। रोशनलाल शर्मा पूरी जिंदगी कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में रहे। आजादी के तुरंत बाद हुए कबायली हमले से लेकर नब्बे के दशक में घाटी से हिंदुओं के पलायन तक के वे गवाह थे। कश्मीर घाटी में जब आतंकवाद चरम पर था तब भी वे घाटी में रहे और अपने काम में लगे रहे। रोशनलाल शर्मा ‘पंजाब केसरी’ और ‘हिंद समाचार’ जैसे अखबारों के साथ जुड़े रहे।उनके परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा और तीन बेटियां हैं। उनके बेटे आशीष शर्मा भी फोटो पत्रकार हैं और दिल्ली की एक अंग्रेजी पत्रिका से जुड़े हैं।
पिछले कुछ दिनों से वे बीमार थे और गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। परिवार की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक गुरुवार की शाम को अस्पताल से डिस्चार्ज होने के समय अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। रोशनलाल शर्मा ने तमाम दुश्वारियों और सुरक्षा चिंताओं के बावजूद घाटी नहीं छोड़ी। श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चौक पर उनका अपना स्टूडियो था, जहां वे आखिरी समय तक काम करते रहे। कश्मीर के तमाम बड़े राजनेताओं से लेकर सैन्य अधिकारी तक के साथ उनके निकट और आत्मीय संबंध रहे।
कश्मीर घाटी में जब आतंकवाद चरम पर था तब भी वे घाटी में रहे और अपने काम में लगे रहे। रोशनलाल शर्मा ‘पंजाब केसरी’ और ‘हिंद समाचार’ जैसे अखबारों के साथ जुड़े रहे। जीवन के अंतिम समय तक वे पूरी जिंदादिली से रहे। उम्र और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से पिछले कुछ समय से वे कई बार अस्पताल में भर्ती हुए लेकिन हर बार स्वस्थ होकर लौटे और पूरी ऊर्जा से फिर अपने काम में लग गए। आजादी के बाद के कश्मीर के सामाजिक और राजनीतिक हालात को बेहतर ढंग से समझने वाले चुनिंदा लोगों में वे शामिल थे। अखबारों में उनकी लिखी रिपोर्ट और उनकी तस्वीरें जम्मू कश्मीर के इतिहास का दर्जा रखती हैं। शुक्रवार, 22 मार्च को दोपहर बाद चार बजे राजधानी दिल्ली के लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार होगा।